कोटा के वकीलों ने आज फिर से हडताल और आन्दोलन का बिगुल बजा कर सरकार के खिलाफ जंग का एलान कर दिया हे , कोटा के वकीलों ने २००९ में देश की सबसे बड़ी हडताल कर यह साबित कर दिया था के वोह अपनी मांगों के समर्थन में एक जुट हें और इसलियें कोटा के वकीलों की मांगों के मामले में मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार अशोक जी गहलोत ने कोटा के वकीलों को वकील कोलोनी के लियें भूखंड देने , कोटा में राजस्व मंडल की डबल बेंच खुलवाने और राज्य उपभोक्ता फ़ोरम की सर्किट बेंच खोलने की मांगे मांग ली थी जिसे बाद में खुद विधि और न्याय मंत्री जनाब शांति कुमार धारीवाल ने अख़बार में बयान देकर मांगे मने जाने की घोषणा की थी एक अन्य मांग कोटा में हाई कोर्ट की बेंच खोलने के मामले में केन्द्रीय मंत्री ने एक कमेटी बनाने और फिर निर्णय का आश्वासन दिया था लेकिन दस माह गुजरने के बाद भी राजथान सरकार ने पूर्व में स्वीक्रत तीन मांगों के मामले में कोई पहल नहीं की हे इस बीच कोटा अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष रामस्वरूप शर्मा , महा सचिव मनोज पूरी ने लगातार फेक्स के जरिये , कलेक्टर के जरिये, डाक के जरिये तीस से भी अधिक मांगपत्र वायदा यद् दिलाने के लियें भेजे
और अब जब वकीलों की स्वीक्रत मांगों की लगातार उपेक्षा होती रही हे उससे वकील काफी नाराज़ हें और वोह फिर से आन्दोलन हड़ताल की राह पकड़ रहे हें वकीलों ने आज इसी क्रम में हड़ताल का आह्वान क्या और न्यायालय परिसर से कलेक्ट्रेट तक रेली के रूप में गये फिर विधि न्याय मंत्री शांति कुमार धारीवाल के निवास पर जाकर आज उनके जन्म दीन होने के बावजूद भी मुर्दाबाद के नारे लगाये और प्रदर्शन किया , इसके बाद वकीलों ने कलेक्टर के माध्यम से राज्य सरकार को ज्ञापन भेज कर स्वीक्रत मांगों की क्रियान्विति नहीं करने पर करो या मरो की तर्ज़ पर आन्दोलन करने की चेतावनी दी । अब देखते हें के सरकार के कान में जूं रेंगती हे या नहीं क्योंकि
हमारी राजस्थान सरकार का रवय्या कुछ अजीब हे उसे पहले कलेक्टर चेताता हे फिर पुलिस अधीक्षक और आई जी चेताते हें , जन प्रतिनिधि चेताते हें लेकिन सरकार नहीं चेतती और जो मांगे बिना आन्दोलन के सरकार मान कर अशांति से जनता को बचा सकती हे उन मांगों पर आन्दोलन और अशांति का माहोल बनने के बाद सरकार मांगे मानती हे इससे सरकार का नाम नहीं बदनामी हो रही हे पिछले दिनों राजस्थान में डॉक्टरों ने सरकार से मांग की मांगपत्र दिया लेकिन डेड लाइन गुजरने के बाद भी उनकी मांगे नहीं मानी गयीं नतीजन डोक्टर हडताल पर गये और बस राजस्थान में सेकड़ों लोग बेमोत मारे गये जब इलाज के आभाव में लोग मरने लगे तब सरकार ने डॉक्टरों की सभी मांगें मान लीं अगर सरकार डॉक्टरों की मांगे पहले ही मान लेती तो सेकड़ों निर्दोष मरीजों को बे म़ोत मरने से बचाया जा सकता था अभी भी कोटा बारूद के ढेर पर हे और आन्दोलन करी वकील अपनी मांगों के समर्थन में अब सडक पर उतर गये हें संवेदन शील सरकार अगर आन्दोलन के पहले ही जो भी वाजिब मांगें समझती हे उन मांगों को मान ले और जो गेर वाजिब मांगें समझती हे उन्हें नहीं माने का कारण बता दे तो सरकार इस कोटा को एक बहुत बड़े आन्दोलन से बचा सकती हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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