एक मन्दिर में
भगवान की मूर्ति पर
प्रसाद चढाने वालों
एक मस्जिद में
अल्लाह हो अकबर
की आवाज़ लगाने वालों
ना तुम धर्मात्मा हो
तुम्हारे अंदर जीवात्मा हे
तुम हो भूखे
खाने बेठो थाली परोस कर
इसी बीच
पड़ोसी तुम्हारा भूखा हे
यह जानकर अपना खाना उसे खिलाओ
धर्म का यह
सिद्धांत लागु कर
दिखाओ तो जाने । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 अक्तूबर 2010
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bahut achha lekh likha hai aapne...
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...अतिसुन्दर !
जवाब देंहटाएंबिलकुल खरी बात कही है आपने ! मंदिरों में पत्थर के भगवान के आगे सैकड़ों रुपयों का प्रसाद और चढावा चढाने वाले लोग शायद ही कभी निर्धन बस्ती में जाकर भूखे इंसानों को खाना खिलाते हों ! बहुत सार्थक पोस्ट ! बधाई एवं आभार !
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