आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

06 अक्टूबर 2010

आज का यह केसा इंसान

देख मेरे भगवान
आज का यह केसा इंसान
भूख इतनी बढ़ी हे इस इंसान की
आदर्श और नेतिकता खाने लगा हे यह इंसान
संस्क्रती भुलाकर
हेवान बन गया हे यह इन्सान
तू ही बता हम क्या करें
ऐ मेरे भगवान
कंद मूल खाकर गुजर बसर करता था
बेचारा जब जंगली था इंसान
थोड़ा समझदार हुआ तो बस
अनाज खाने लगा यह इंसान
देखो अब जब सभ्य हुआ हे इंसान
तो इधर देखो उधर देखो जिधर देखो
सभ्यता , इंसानियत को खाने लगा हे यह इंसान
हालत इतनी बदली हे अब मेरे भगवान
रोटी छोड़ कभी चारा कभी रुपया खाता हे यहे इंसान
तो कभी आदमियों का ही लहू पीता हे यह इन्सान
पेट उपये से नहीं रोटी से भरता हे
अब तो इतना भी नहीं हे इसे ध्यान
ऐ मेरे भगवान यह केसा हो गया इन्सान
इससे तो आज भी बहुत अच्छा हे हेवान
यह केसा हो गया इंसान ...................?
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...