आपका-अख्तर खान

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07 अक्तूबर 2010

जियें तो केसे जियें

जियें तो केसे जियें
जानवर तो खूब जीते हें
लेकिन इन्सान बन कर अगर जीना हे
तो बस एक फार्मूला जरुर ध्यान रखें
रात सोने से पहले
अपने आज और आज की
गतिविधियों की समिक्ष करें
आज अगर ठीक निकल गया
तो उसकी प्रशंसा कर
खुदा का शुक्रिया अदा करें
और अगर ग़लत हुआ हो
तो फिर उस पर अफ़सोस करो
उस गलती को फिर से नहीं करने
और भविष्य में सूधारने का संकल्प लो ।
आज की गलतियाँ सुधारने के लियें
कल का इन्तिज़ार करें
जिनके लियें आपने गलत किया
उनसे माफ़ी मांगें
जहां आपने रास्ते का पत्थर नहीं हटाया
वह जाकर पत्थर हटायें
ताकि किसी के ठोकर नहीं लगे
जहां गड्डा देखा हो
उसे कल जाकर समतल करें
जीने के लियें बस सोचें
आपका हर दिन नया जन्म हे
और रात नई म़ोत हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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