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07 अक्तूबर 2010

प्यार व्यार में क्या रखा हे

प्यार व्यार में क्या रखा हे
यह तो एक बेवकूफ आदमी करता हे
क्योंकि इसमें वासना ही भरी होती हे
प्रीटी तो एक नारी की होती हे
क्योंकि उसमें कामना भरी होती हे
प्रेम अगर संत करे तो उसमें वासना नहीं साधना हे
इसीलियें कहते हें
प्रेम पवित्र हे ,पुण्य हे ,परमात्मा हे
दुनिया के सभी पाप
जहां प्रेम ,स्नेह नहीं होता
बस वहीं पैदा होते हें
बताओ क्या जिनसे तुम प्रेम करते हो
क्या तुम उनकी किसी बात का उलंघन कर सकते हो
क्या तुम उनकी हत्या कर सकते हो
क्या तुम उनका बुरा सोच सकते हो
क्या तुम उन्हें धोका दे सकते हो
इसीलियें तो कहते हें
बस प्रेम ही प्रेम करो
प्रेम से रहो
लोगों को प्रेम से रहने दो
क्योंकि प्रेम ही परमात्मा हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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