आह लोग दूसरों को
सूधारने की बात करते हें
में अकेला हूँ जो
खुद को सूधारने की बात करता हूँ
में जान गया हूँ
खुद में सुधार ही
समाज और राष्ट्र के सुधार की नीव हे,
दूसरों को सूधारने का प्रयास
दूसरों के सुधरने का इन्तिज़ार
सबसे बढ़ी अराजकता हे
सबसे बढ़ी मुर्खता हे
और यही मुर्खता
आज देश, घर ,परिवार
और समाज में हो रही हे
हर आदमी खुद को छोड़
दुसरे को बदलने की
कोशिशों में जुटा हे
और यही जिद
इस देश, समाज और विश्व में
टकराव और अराजकता का
मूल कारण हे ,
तुम जानलो
कई जीवन गुज़ारने के बाद भी
तुम दूसरों के स्वभाव को
नहीं बदल सकते,
इसलियें थोड़ा समझो
थोडा सा बस खुद को बदल लो
बस जेसा तुम
चाहते हो
समाज,देश और हालत वेसे ही बदल जायेंगे
और तुम जहां रहते हो
वोह जगह खुद बा खुद
स्वर्ग बन जाएगी ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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