यादों में
अब तुम्हारी
इतनी खो गये हें हम
अपने खुद के वुजूद से भी
कोसों दूर हो गये हें हम
जब जब भी
परेशान क्या
यादों ने तुम्हारी
अपने दिल में
नाम तुम्हारा
लेकर मर गये हें हम।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 अक्तूबर 2010
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इन हालातों में अपना वजूद कहाँ बचता है...सही कहा...
जवाब देंहटाएंयादों में
जवाब देंहटाएंअब तुम्हारी
इतनी खो गये हें हम
अपने खुद के वुजूद से भी
कोसों दूर हो गये हें हम...
अच्छी रचना है...बधाई.