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20 अक्तूबर 2010

खो गया मेरा वुजूद

यादों में
अब तुम्हारी
इतनी खो गये हें हम
अपने खुद के वुजूद से भी
कोसों दूर हो गये हें हम
जब जब भी
परेशान क्या
यादों ने तुम्हारी
अपने दिल में
नाम तुम्हारा
लेकर मर गये हें हम।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. इन हालातों में अपना वजूद कहाँ बचता है...सही कहा...

    जवाब देंहटाएं
  2. यादों में
    अब तुम्हारी
    इतनी खो गये हें हम
    अपने खुद के वुजूद से भी
    कोसों दूर हो गये हें हम...
    अच्छी रचना है...बधाई.

    जवाब देंहटाएं

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