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20 अक्तूबर 2010

कोटा मेले में आयोजकों और पार्षदों के मजे ही मजे

कोटा मेले दशहरे की भव्यता राष्ट्रीय मेले दशहरे के स्थान पर शानिय स्तर की भी नहीं बची हे हालत यह हें के पार्षद और आयोजक खुद ही इसमें मेहमान और मेज़बान हें , दो पार्षद तो ऐसे हें जिन्होंने खुद के बेटे और बेटियों के नाम से फर्जी ओर्केस्ता पार्टी बनाकर उन्हें कम दिलवा दिया हे जबकि कई प्रतिभाएं आज भी लाइन में लगी हे इतना ही नहीं कार्यक्रमों में महंगे दाम देकर सस्ते दामों वाले लोगों को बुलाया गया हे जिस कारण से मेले का आकर्षण नहीं बन प् रहा हे अब तो स्थिति यह हो गयी हे के पर्श्दोदं और आयोजकों ने खुद अपने रिश्तेदारों को कार्ड दिए हें बाक़ी आम जनता के जन प्रतिनिधियों को इस मामले में आज तक कोई न्योता नहीं दिया गया हे खुद भाजपा के लोग इससे त्रस्त हे कोंग्रेस का १५ सालों में यह पहला बोर्ड ऐसा हे जहाँ अव्यवस्था में नम्बर वन चल रहा हे पहली बार रावण को डीजल से जलाना पढ़ा हे और रावण के पटाखों को पार्षद लुटकर घर लेजाते देखे गये हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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