पुण्य और पाप में
एक दिन
छोटे बढ़े का
युद्ध हो गया
पुण्य कहे में बढा
पाप कहे में शक्तिशाली
पुण्य पाप से बोला
तेरा क्या बढा तो में हूँ
क्योंकि दुनिया
सिर्फ मुझे और मुझे ही
चाहती हे ,
पाप बोला हां हां
बहुत गलत फ़हमी में हो
पुण्य जी यह लोकतंत्र हे
यहाँ जिसके चाहने वाले ज्यादा
जीत उसी की होती हे
इसलियें दुनिया में
मुझ पाप को करने वाले ज्यादा
तो संख्या बल मेरे साथ हे
तुम तो पुण्य हो
या तो अकेले हो
या फिर
गिनती के लोग
तुम्हारे साथ हें
तो दोस्तों पुण्य पाप के सामने
अकेला सिर्फ अकेला हे
इसलियें आओ उठों
और पुण्य करो
एक इस जन्म के लियें
और एक उस जन्म के लियें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
14 अक्तूबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
... बहुत बढिया !
जवाब देंहटाएंपुण्य और पाप को लेकर बेहद संतुलित व्याख्या।
जवाब देंहटाएं................
वर्धा सम्मेलन: कुछ खट्टा, कुछ मीठा।
….अब आप अल्पना जी से विज्ञान समाचार सुनिए।