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14 अक्तूबर 2010

पुण्य और पाप

पुण्य और पाप में
एक दिन
छोटे बढ़े का
युद्ध हो गया
पुण्य कहे में बढा
पाप कहे में शक्तिशाली
पुण्य पाप से बोला
तेरा क्या बढा तो में हूँ
क्योंकि दुनिया
सिर्फ मुझे और मुझे ही
चाहती हे ,
पाप बोला हां हां
बहुत गलत फ़हमी में हो
पुण्य जी यह लोकतंत्र हे
यहाँ जिसके चाहने वाले ज्यादा
जीत उसी की होती हे
इसलियें दुनिया में
मुझ पाप को करने वाले ज्यादा
तो संख्या बल मेरे साथ हे
तुम तो पुण्य हो
या तो अकेले हो
या फिर
गिनती के लोग
तुम्हारे साथ हें
तो दोस्तों पुण्य पाप के सामने
अकेला सिर्फ अकेला हे
इसलियें आओ उठों
और पुण्य करो
एक इस जन्म के लियें
और एक उस जन्म के लियें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

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