आपका-अख्तर खान

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01 अक्तूबर 2010

मेरे आंगन में

हिन्दू ,मुस्लिम
सीख ,इसाई
खिले हें
फूलों की तरह
मेरे आंगन में
देखो खुश हाली और हरियाली का मेला
लगा हे मेरे आंगन में
नमाज़ की अज़ान और पूजा की थाली की तरह
नफासत का माहोल हे मेरे आंगन में
सब मिल जुल कर
मना रहे हें खुशिया
देखो
रिश्तों का केसा
खुशनुमा रेला हे
मेरे आंगन में
चाहते थे लोग घटाटोप अन्धेरा
लेकिन देखो
यह चमकते सितारे हें
इसलियें कितनी रौशनी हे मेरे आंगन में ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. न राम कुछ खाने को देगा, न अल्लाह .......... और जो दे सकता है वो दे नहीं रहा है...चाहे सड जाये
    आपकी रचना चोरी हो गयी ..... यहाँ देखे
    http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_5325.html

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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