हिन्दू ,मुस्लिम
सीख ,इसाई
खिले हें
फूलों की तरह
मेरे आंगन में
देखो खुश हाली और हरियाली का मेला
लगा हे मेरे आंगन में
नमाज़ की अज़ान और पूजा की थाली की तरह
नफासत का माहोल हे मेरे आंगन में
सब मिल जुल कर
मना रहे हें खुशिया
देखो
रिश्तों का केसा
खुशनुमा रेला हे
मेरे आंगन में
चाहते थे लोग घटाटोप अन्धेरा
लेकिन देखो
यह चमकते सितारे हें
इसलियें कितनी रौशनी हे मेरे आंगन में ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 अक्तूबर 2010
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न राम कुछ खाने को देगा, न अल्लाह .......... और जो दे सकता है वो दे नहीं रहा है...चाहे सड जाये
जवाब देंहटाएंआपकी रचना चोरी हो गयी ..... यहाँ देखे
http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_5325.html