मेरा मुल्क
तुफाने बला की जद में हे
मेरे नेताओं
के बिस्तरों पर
आराम के लियें
मसनद हें ,
मदारी का जो
दिखाते थे
सडकों पर तमाशा
देख लो
जनता का मजाक
आज वही आदमी
संसद में हे ,
हिन्दू मुस्लिम
एकता की बातें
क्या और क्यूँ करते हें
एक की आस्था
कलश में तो दुसरे की आस्था गुम्ब में हे ,
देख लो
फिर से लगती हे
खतरे में
मेरे वतन की आबरू
फिर से बढी
साजिश
मेरे इस वतन की
किसी सरहद पे हे,
नेताओं के यह वायदे
यह दिखावे ,यह भाषण
आखिर
मेरे इस देश में
किस मकसद से हें।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
24 सितंबर 2010
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भाईजान,
जवाब देंहटाएंजम कर लिखा ही नहीं....यहां भी जम कर छाप रहे हैं...
थोड़ा संभलिए...
सप्ताह में...दो तीन...कविताएं ही बहुत हैं...
पाठकों को सांस भी लेने देंगे या नहीं.....
आपकी सक्रियता लाजवाब है...