यह देखो
जमाने की फिजा हे
चोर चोर
मोसेरे भाई हो गये ,
तोडना चाहते हें
जो धर्म ,जाती ,भाषा के नाम पर
मेरे इस देश को
वोह देखो
सभी शेतान
एक राय हो गये ,
खुशिया,सुकून मेरे देश का
केसे यह छीने
बस बुनते हें
इसी का यह ताना बाना
देखो जो कभी उत्तर थे कभी दक्षिण थे
आज बर्बादी को मेरे देश की
यह सभी शेतान
एक राय हो गये ,
इलाही तू ही बता
ऐसा सपना होगा कब पूरा मेरा
जब खुले आँख मेरी
और देखूं
मेरे इस देश को बचाने वाले
सभी बिखरे लोग
इसे बचाने के लियें
एक राय हो गये ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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