इंसान जिन्हें कहते हें
वही लोग
बस
दुनिया में
प्यर बढाया करते हें,
इन्साफ के लियें तरसते लोगों को
यही लोग अपना
बनाया करते हें
इंसान जिन्हें कहते हें
यही वोह लोग हें
कोम और वतन के खातिर
यही लोग अपनी
हस्ती मिटाया करते हें
इंसान हें यही लोग
देश में आती हे
जब भी आफत
देश की हिफ्फाज्त के लियें
यही लोग
अपनी गर्दन कटाया करते हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
25 सितंबर 2010
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बहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंअच्छे विचार हैं
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