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17 सितंबर 2010

इन्तिज़ार एक रुके हुए फेसले का

देश को वर्षो से रुके हुए फेसले का बेसब्री से इन्तिज़ार हे लेकिन यह इन्तिज़ार केवल इन्तिज़ार नहीं किसी तूफान के पहले की खाओशी हे जी हाँ में बाबरी मस्जिद अयोध्या मामले पर आगामी २४ तारीख को सुनाये जाने वाले फेसले की बात कर रहा हूँ , केंद्र सरकार हो चाहे राज्य सरकारे हों कोंग्रेस हो चाहे भाजपा हो हिन्दू हो चाहे मुसलमान हो सभी इस फेसले के इन्तिज़ार और फ़सल के बाद की स्थिति को लेकर चिंतित और आशंकित हें , लेकिन दोस्तों भारत में एक संविधान हे यहाँ एक सच तो समझना ही होगा जब दो पक्ष लड़ते हें तो एक पक्ष की जित होती हे दूसरा पक्ष अगर हारता हे तो फिर वोह इस मामले में कानूनी रास्ता अपना कर अपील में जाता हे सरकार हिंसा मामले में कार्यवाही करती हे तो दोस्तों इस सच को ह समझे जो होगा वोह होगा फेसला हक में हुआ तो ठीक खिलाफ हुआ तो अपील हो जाएगी इसमें इतना चिंतित और आशंकित होने की जरूरत नहीं हे हमें इस मामले में भी जाती वर्ग के लोगों को यह सच समझाना होगा तब कहीं इस रुके हुए फेसले पर बावेला खड़ा होने से बच सकेगा और खुदा खेर करेगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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