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17 सितंबर 2010

न्यायधीश भ्रष्ट भी होते हें एक ललकार

न्यायधीशों के खिलाफ भ्रस्टाचार के आरोप लगाने पर न्यायालय आरोप लगाने वाले के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का डंडा लेकर पीछे पढ़ जाती हे और फिर उसकी फजीहत के बाद कोई दुसरा इस मामेल में सच जानकर भी बोलने का साहस नहीं करता , लेकिन दोस्तों इस व्यवस्था जिसे कहावत में चोरी और सीना जोरी कहते हें से जनता तंग आ गयी हे और अब पूर्व कानून मंत्री शांतिभूषण ने अपने लेखक पुत्र अशोक भूषण को बचाने के लियें डंके की चोट पर जो सच कहा हे वोह चोका देने वाला हे , पूर्व कानून मंत्री शती भूषण ने शपथ पत्र देकर कहा के हाँ में कहता हूँ के १६ में से ८ सुप्रीमकोर्ट के जज भ्रष्ट थे उन्होंने कहा के मुझे यह बात खुद न्यायधीशों ने बताई हे पूर्व कानून मंत्री ने तो यहाँ तक कहा की इसकी सुनवाई उन्हें पक्षकार बना कर की जाए और फुल्कोर्ट इसकी सुनवाई करे उन्होंने तो यह तक कहा के अगर इस सच को जनता तक पहुँचने में उन्हें सजा भी होती हे तो वोह सजा भुगतने को तय्यार हें , ध्यान रहे पूर्व कानून मंत्री के पुत्र अशोक भूषण ने पिछले दिनों न्यायधीशों के भ्रष्ट होने के मामले में एक लेख लिखा था जिस मामल में उनके खिलाफ सुप्रीमकोर्ट ने अवमाना याचिका दर्ज की हे , इसी मामले में पुत्र प्रेम में व्यथत होकर एक पिता ने यह खेल खेला हे कहने को चाहे यह निजी मामला हो लेकिन देश के लियें यह एक बहुत बहुत बढा सच हे जब देश में खुद न्यायपालिका अपने अधिनस्थों को भ्रष्ट कहकर नोकरी से निकलती हे ट्रांसफर करती हे सी बी आई से जाँच करवाती हे तो फिर यह क्यूँ नहीं कहा जा सकता के न्यायधीशों में कुछ लोग चोर भी होते हें मुझे राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायालय मामले में भ्रस्टाचार की शिकायत करने वाले हेमराज जेन का मुकदमा याद आ रहा हे उसने राजस्थान और कोटा के जजों की शिकायत की थी हाईकोर्ट ने इस शिकायत को न्यायालय की अवमानना मान ली और हेराज जेन को जवाब देने और माफ़ी मांगने के लियें कहा हाईकोर्ट ने वर बार उससे माफ़ी मांगने की पेशकश की लेकिन उसने इंकार कर दिया मजबूरी में न्यायालय को अपना मान सम्मान बचाने के लियें हेमराज जेन को सजा देणा पढ़ी लेकिन इस एक घटना ने आदरणीय राजस्थान उच्चन्यायालय की आँखें खोल दिन और यहाँ बड़े पैमाने पर न्यायधीशों को नोकरी से हटाकर शुद्धिकरण योजना चलाई जो आज भी चालू हे इन न्यायधीशों में वोह न्यायधीश भी शामिल थे जिनके खिलाफ हेमराज शिकायत लेकर गया था तो दोस्तों इस देशमें कोई भी दूध धुला नहीं हे इसलियें न्यायधीशों में भी सभी इमानदार हें गान्र्न्तियो से नहीं कहा जा सकता यह सब खुद सुप्रीमकोर्ट और विधि मंत्रालय जानता हे फिर अवमानना कानून में संशोधन क्यूँ नहीं होता हे सही शिकायत की जाँच हो अगर शिकायत ग़लत हो तो फिर शिकायत करता के खिलाफ कार्यवाही वाजिब हे लेकिन शिकायत तो सुना नहीं और शिकायत कर्ता को सजा दे दो यह तो इंसाफ नहीं देखों अब पूर्व केन्द्रीय मंत्री के खुद के बेटे पर आन पढ़ी हे इसलियें इस लड़ाई में वोह दमदारी से कूद गये हें शायद अब कुछ बात बने । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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