आपका-अख्तर खान

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22 सितंबर 2010

उठो जागो .....

उठो जागो
सोओं मत
गर्म हवा चल रही हे
न उठे तो बस
सोच लो
बस्तिया जल जायेंगी
इसलियें कहते हें
उठो जागो
गर्म हवाओं का रुख नर्म हवाओं में कर दो
ताके
जलाने ,झुलसाने जो निकली हें
गर्म हवाएं
वही हवाएं नर्म होकर
मखमली रेशम बन जाएँ
इसलियें उठो जागो सोओं मत
फर्ज़ अपना निभाओ
यह देश तुम्हारा हे
इसे हे जरूरत तुम्हारी
इसलियें उठो जागो
फर्ज़ इसके लियें आज तुम अपना निभाओ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

4 टिप्‍पणियां:

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