उठो जागो
सोओं मत
गर्म हवा चल रही हे
न उठे तो बस
सोच लो
बस्तिया जल जायेंगी
इसलियें कहते हें
उठो जागो
गर्म हवाओं का रुख नर्म हवाओं में कर दो
ताके
जलाने ,झुलसाने जो निकली हें
गर्म हवाएं
वही हवाएं नर्म होकर
मखमली रेशम बन जाएँ
इसलियें उठो जागो सोओं मत
फर्ज़ अपना निभाओ
यह देश तुम्हारा हे
इसे हे जरूरत तुम्हारी
इसलियें उठो जागो
फर्ज़ इसके लियें आज तुम अपना निभाओ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 सितंबर 2010
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agreed
जवाब देंहटाएंसार्थक आह्वान ..
जवाब देंहटाएंजरूरत है हवाओं की तासीर बदलने की
बिल्कुल सही कह रहे हैं …………॥इसी तरह जगाना होगा।
जवाब देंहटाएंजागरूक करती पोस्ट ....अच्छी रचना ..
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