मेने देखा हे
हमारे घर के
एक कोने में
एक चिड़िया ने
चिडे के साथ मिलकर
एक घोंसला
बनाया था
चिड़िया चिडा दोनों
उसमें प्यार से रहते थे
एक दिन
चिड़िया ने अंडे दिए
उसमें से बच्चे निकले
घोंसला आबाद हुआ
घोंसले में से चीं चीं की आवाज़ आने लगी
रोज़ चिड़िया चिड़ा
घोंसले में बच्चों के लियें
खाना लाते
चोंच से चोंच लड़ा कर
बच्चों को खाना खिलाते
कभी खेलते कभी इठलाते
कुछ दिनों बाद
बच्चों के पंख आये
वोह फड फ्डाने लगे
चिड़िया चिडे नें
बच्चों को खाना उड़ना सिखाया
एक दिन बच्चे बड़े हुए
घोंसले से उड़े
ना जाने खान गये
मेने देखा
चिड़िया चिडा फिर अकेले थे
जो घोंसला था आबाद
आज फिर उसमें वीरानी हे
में सोचा यही जीवन चक्र हे
और यही जिंदगी की सच कहानी हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
यह तो रीत है...केवल इंसान ही अपने बच्चे से अपेक्षा रखते हैं क्योकि इंसान को सोचने-समझने की शक्ति मिली...बाकी अन्य जीवों को नहीं मिली। केवल चिड़िया के बच्चे ही नहीं उड़ते चिड़िया भी फिर उन्हें नहीं पहचानती
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता।
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