सोच लो
तुम मुझे हरगिज़
भुला ना पाओगे ,
रात को ख़्वाबों में
और हर सुबह
सूरज की तरह
रोशन पाओग,
क्या करूं ना भुला पाना मुझको
किसी के बस की बात नहीं
जब भी मुस्कुराओगे
मुझे हर पल हर क्षण
अपने साथ पाओगे,
देह्ता हूँ
मुझे तुम
केसे भुला पाओगे,
लाख दिल से भुलाने
की कर लो कोशिश
आँखे जब भी बंद करोगे तो ख़्वाबों में
खोलोगे तो सामने
सिर्फ और सिर्फ हमें ही पाओगे,
जा रहा हूँ तुझ से दूर
भूली हुई यादों की तरह
ज़िंदा अगर लोटा
तो बस सामने अपने पाओगे,
आप जरा अपना रहबर तो बनाएं हमें
हर कदम हर पल हर एहसास में
बस हमें और बस हमें ही पाओगे
ना करो बेकार कोशिश
हम कहते हें
तुम हमे भुला न पाओगे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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