वोह कोन हे आज इस देश में
जो ज़ुल्म व् सितम का शिकार नहीं हे
देख लो ज़ालिम तो फिर भी
गिरफ्तार नहीं हे ,
खून,लुट,दंगे फसादात ,भ्रष्टाचार
यही सब सुर्खियाँ हें
आज के टी वी और अखबार में ,
अब तो लगता हे शायद
इस देश में कोई सरकार नहीं हे।
मजहब,जात और भाषा के नाम पर
बिगड़े हें चारों तरफ के हालात
हर तरफ लुट हत्या और हे बलात्कार
देखों फिर भी
यहाँ सजा में कोई गुनाहगार नहीं हे
लगता हे मेरे देश में '
कोई सरकार नहीं हे ,
जरा महंगाई को तो देखो
हर चीज़ की कीमतें हें
काबू से बाहर
रिश्वत को बिना कोई अफसर
काम करने को तय्यार नहीं हे,
अब असल कोई चीज़ नहीं हे
सभी चीजों में हे मिलावट
कानून को तो देखो
किताबों में तो लिखा हे
लेकिन इसे आजमाने को
कोई तय्यार नहीं हे
इस देश में लगता हे
अब कोई सरकार नहीं हे,
अब आओ हिन्दू हो चाहे मुस्लिम
सीख हो चाहे इसाई
सम्प्रदाय,जाती या भाषा का हो झगड़ा
सब भुला कर करें एहसास ,
क्या हमारा इस मुल्क के लियें
इतना सा फर्ज़ भी यार नहीं हे
आओ जगाए सोते हुए लोगों को
जिन्हें तबाही बर्बादी के इस देश का
एहसास अब तक यार नहीं हे
लगता हे देखो
इस देश में कोई
सरकार नहीं हे।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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