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02 सितंबर 2010

शेतान और इंसानियत

एक राय बन गयी हे
आज के हेवानों में
कुछ हें ऐसे लोग
इंसानियत बची हे
जिन इंसानों में
चारों तरफ बढ़ गयी हे
इस हद की दहशत गर्दी
जिससे बचा नहीं कोई महफूज़
शरीफ इंसानों में
किसी भी अजनबी चीज़ को
छूना हे गुनाह
ना जाने कहा रखा हो
बम सामानों में
घूमते फिरते हें आज़ाद मुलजिम यहाँ
मजलूम बंद नजर
आते हें थानों में
खोल दो आज सब मिलकर
मोहब्बत ,प्यार ,अमन के रास्ते
यार खड़े हें
सीना तान अपने अपने
आशियाने में।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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