तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 सितंबर 2010
तुझ से मिलने .....
सोचता हूँ
तुझ से मिलने
तेरे घर तक
आना भी तो हो,
जी तो बहुत
चाहता हे
तुझ से मिलने को
लेकिन सोचता हूँ
इसके लियें
एक खुबसुरत सा
बहाना भी तो हो
उफ़ तेरी याद में देख
आज में मोम की तरह
जलता हूँ
जल कर भी
मोम की तरह ही
पिघलता हूँ
लेकिन
मुझ पर फ़िदा होने वाला
तुझ सा कोई
परवाना भी तो हो।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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