आपका-अख्तर खान

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12 सितंबर 2010

तुझ से मिलने .....


सोचता हूँ
तुझ से मिलने
तेरे घर तक
आना भी तो हो,
जी तो बहुत
चाहता हे
तुझ से मिलने को
लेकिन सोचता हूँ
इसके लियें
एक खुबसुरत सा
बहाना भी तो हो
उफ़ तेरी याद में देख
आज में मोम की तरह
जलता हूँ
जल कर भी
मोम की तरह ही
पिघलता हूँ
लेकिन
मुझ पर फ़िदा होने वाला
तुझ सा कोई
परवाना भी तो हो।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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