जी हाँ राजस्थान रो रहा हे यहाँ कानून और व्यवस्था नाम की चीज़ नहीं हे कर्ण यहाँ कानून जो पहले से बने हुए हें उनकी पालना करने की दिशा में समितियां बनाकर जनता को निरिक्षण में भागीदार नहीं बनाया गया हे या यूँ कहिये के राजस्थान में लोकतंत्र नाम की कोई चीज़ नहीं बची हे , यहाँ घरेलू हिंसा कानून हे लेकिन इसकी पालना करवाने के लियें सेवा प्रदाता नहीं हें , यहाँ रजस्थान पुलिस अधिनियम में जनता की समितियां गठित कर पुलिस की कारगुजारियों पर अंकुश के आवश्यक प्रावधान हें लेकिन समितियां गठित नहीं की गये हें , यहा अल्प संख्यक कल्याण के लियें समितियों का प्रावधान हे लेकिन गठित नहीं की गयी हें इसी तरह से नरेगा के आमों की समीक्षा के लियें तुरंत सीटियों के गठन कर कार्यों की समीक्षा का प्रावधान हे लेकिन केन्द्रीय मंत्री सी पी जोशी और भरत इंह ने कुलियों में जो गुड फोड़ा हे वोह जनता को पता ना लगे इस लियें उन्होंने कोई समिति नहीं बनाई हे ।
आब हम बात करते हें ७३वे संवेधानिक संशोधन की पालना की इसमें स्वर्गीय राजीवगांधी के कार्यकाल में पंचायतों और पालिकाओं को विकेंद्रिक्र्ण कार्यवाही के तहत अधिकार दिए गये तहे कानून बनाया गया हे लेकिन सरपंचों के अधिकार विधि विरुद्ध तरीके से छीन लिए गये हें जबकि नगर पालिकाओं में समितियों का गठन नहीं क्या गया हे जहाँ किया गया हे वोह गेर कानूनी क्या गया हे और महापोर आयुक्त और मुख्यकार्याधिकारी समिति सदस्यों की सुनवाई नहीं कर रहे हें , जयपुर नगर निगम की समितिया गठित करने के मामले में भाजपा के पार्षद हाईकोर्ट से आदेश ले आये लेकिन आदेश की पालना में आज तक समिति गठित नहीं की गयी हें, कोटा में जो समिति गठित की गयी हें वोह महापोर रत्ना जेन ने खुद के हाथ में ही रखी हें जो समिति गठित कर पहले नाम रखे थे उन्हें अब हटा दिया गया हे और कोटा में बार बार नियमों का हवला देकर स्वत्र रूप से कम करने वालों को डराया जा रहा हे महापोर रत्ना जेन का कहना हे के मेरे बगेर कोटा में समिति का कोई भी सदस्य पत्ता भी नहीं हिलाएगा बस राजस्थान का यही हाल हे अशोक गहलोत कहने को मुख्यमंत्री तो हें लेकिन बेचारे वोह बेबस हो चले हें अब वोह पहले आले सख्त मुख्यमंत्री नहीं हे वोह चोट छोटे मंत्रियों विधायकों और कार्यकर्ताओं से ब्लेकमेल हो रहे हें और इसीलियें तो राजस्थान अराजकता,भ्रस्ताचार,अनाचार की तरफ बढ़ रहा हे खुदा ही खेर करे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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