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15 सितंबर 2010

देश की समस्याओं के निराकरणकर्ता राजा का ग़लत चयन

देश में आज भुखमरी,गरीबी,आतंकवाद,आन्तरिक असुरक्षा और हिंसा, घोटालों , मिलावट सहित हजारों ऐसी समस्याएं हे जिनके लियें कागजों पर तो विचार हो रहा हे लेकिन कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आये हे आज कश्मीर हो चाहे नक्सली समस्या हो महंगाई हो चाहे भ्रस्टाचार हो उससे निपटने का सरकार और सरकार के उपर बेठी सरकार का जो बेढंगा ढंग हे उसे देख कर मुझे एक किस्सा याद आता हे इस किस्से को मेहरबानी करके पढ़े और खुद अपना अर्थ निकाल कर सच्चाई की तह तक पहुंचे क्योंकि में आगे इस किस्से के अलावा कुछ नहीं लिखूंगा ।
दोस्तों एक बार जंगल में एक शेर को जंगल के राजा के पद से हटाने के लियें जंगल के सभी जानवरों ने यूनियन बना ली और शेर से कहा के भाई लोकतान्त्रिक तरीका अपनाओ जंगल के जानवर आपको नहीं चाहते इसलिए इस पद के लियें चुनाव कराओ। शेर ने कहा ठीक हे चुनाव करालो जंगल के जानवर बहुत खुश हुए और उन्होंने मदारी के इशारे पर नाचने वाले बन्दर को चुनाव में खड़ा कर दिया शेर ने भी इस पद के लियें फ़ार्म भरा लेकिन उसका फ़ार्म ख़ारिज हो गया जंगल के जानवरों ने मदारी के इशारे पर शेर के स्थान पर बन्दर जी को जंगल का राजा निर्विरोध निर्वाचित कर दिया बस फिर किया था बन्दर जी नये राजा के रूप में मदारी जी के इशारे पर नाचने लगे उछल कूद करने लगे ,लेकिन इधर शेर के राजा पद से हटते ही जंगल में सुरे इलाके के शेर घुस गये और रोज़ जानवरों को मरने लगे असुरक्षित परेशान जानवर नये राजा बन्दर जी के पास गये पहले तो वोह कहते रहे हाँ हम कुछ कर रहे हें लेकिन जब रोज़ जानवर मरने लगे तो बस फिर जंगल के जानवरों ने नये राजा बन्दर जी का घेराव कर डाला राजा बन्दर जी डर गये और शेर के पस लड़ने जा पहुंचे शेर जी ने बन्दर जी राजा को देखा और मुस्कुराया उसने एक दो फिर तीन जंगल के जानवरों को मार कर खाया तब जानवर और नाराज़ हुए नाराज़गी देख बेचारे राजा बन्दर जी कभी इस डाली पर तो कभी उस डाली पर कूदने लगे कभी खी खी कर शेर पर चीखने भी लगे लेकिन शेर मुस्कुराये और एक जानवर मार दे ,इस पर जगल के जानवर राजा बन्दर को नचाने वाले मदारी जी के पास पहुंचे मदारी जी ने जानवरों की बात सुनकर कहा भाई क्या करें अब बेचारे राजा बन्दर से जो भी बन पढ़ रहा हे वोह कर तो रहा हे उसकी कोशिशों में कोन सी कमी हे बस द्सोतों राजा बन्दर जी कोशिशें करते रहे और रोज़ शेर जी जानवर खाते रहे , बस में इतना ही कहूँगा बाक़ी तो आप लोगों को ही समझना होगा और देश को बचाने के लियें कुछ करना होगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. जितने लोग चुनाव मे खडे होते हैं, सभी किसी न किसी मदारी के बन्दर ही तो हैं

    तो आप ही बताये हम कहां से सही राजा ले आएं

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