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01 सितंबर 2010

न्यायालय में फेसले या मजाक

कत्ल के न्यायालय में वहां के न्यायधीश ने एक दिन में १४८ फेसले करके रिकोर्ड कायम करने की कोशिश की हे न्यायधीशों में जल्दी और अधिकतम फेसले सुनाने की होड़ देश और समाज की न्यायिक व्यवस्था के लियें ठीक नहीं हे ऐसा आदेश जो अपील में जाकर उल्ट जाए उसे दें से न्यायधीश को बचना चाहिए कोई भी आदेश घन चिन्तन मनन और अध्ययन के बाद ही लिखा जाना चाहिए , खुद मिडिया इस तरफ ध्यान दें सम्बन्धित इलाकों के उच्चतम न्यायालय को जो निरीक्षक न्यायधीश हें वोह इस तरफ सोचें उन पत्रावलियों का निरिक्षण करें जिसमें गिनती से ताबड़तोड़ फेसले दिए गये हें उनकी गुणवत्ता विधिकता परखें और फिर सम्बन्धित जल्द बाज़ न्याय्ध्शों के खिलाफ कार्यवाही भी करें हमे राजस्थान में कई जल्दबाज़ न्यायधीश के फ़सलों में गडबडी के कर्ण उनके खिलाफ कार्यवाही हुई और अब उन्हें नोकरी से निकल कर जबरी सेवानिव्र्त्ति दी गयी हे न्यायालय फ़सलों के लियें होते हें ना की गिनीज़ रिकोर्ड बनाने के लियें न्यायधीशों के इस रवय्ये पर रोक होना आवश्यक हे क्यूंकि यह सब देश और समाज के लियें घातक हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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