आपका-अख्तर खान

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04 सितंबर 2010

कोटा से जयपुर बस का सफर

वोह और में
घर से साथ निकले
वोह सस्ते किराए में
जयपुर जाने के लियें
डीलक्स प्राइवेट बस में बेठे
बस नई ,खुबसुरत,वातानुकूलित थी
बस किराया मात्र १५० रूपये
में ठहरा जिद्दी हिन्दुस्तानी
सोचा चलो सरकार की कमाई करे जाए
सो प्राइवेट बस छोड़ कर
बस स्टेंड चल दिया
वहां एक टूटी फूटी बस खड़ी थी
नाम राजस्थान परिवहन डीलक्स लिखा था
टिकिट की खिड़की पर जब में गया
तो मुझसे डीलक्स सेवा हे
इसलियें २५० रुए मांगे
मेने सोचा चलो छोड़ो
प्राइवेट में १५० सरकार में २५० हे तो क्या हुआ
हम तो जिद्दी हिंद्स्तानी हें
इसलियें सरकार की कमाई करानी हे
बस चली खटर खटर
खिड़कियाँ दरवाजे हिल रहे थे
ड्राइवर जनाब बस को गड्डों में कूदा रहे थे
स्पीड ब्रेकर हो चाहे हो नाला
बस उस पर सर्कस की तरह उछाल रहे थे
खुदा खुदा करके जब पहुंचे हम जयपुर
तो वोह जनाब मेरी हालत पर मुस्कुरा रहे थे
वोह १५० रूपये में जयपुर पहुंचे
लेकिन पुरे के पुरे फ्रेश थे
में दो घंटे बाद पहुंचा
लेकिन मेरी हालत ऐसी थी
मानो मेरे साथ किसी ने बलात्कार किया हो
सोचा ऐसी की तेसी ऐसे जिद्दी हिन्दुस्तानी की
रोडवेज़ ना सुधरेगी ना इसकी बसें सुधरेंगी
में भी सो रुपुये किराया बचाऊंगा
आराम और ठाठ से वापस प्राइवेट बस में जाऊँगा ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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