आपका-अख्तर खान

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04 सितंबर 2010

कभी महसूस तो कर

खामोश रहकर
हम तेरी
महफ़िल में
बस तेरे लियें
ही तो रहते थे
तुझे किया
तू तो बस बेखबर हे
हमारे आने से
खुदा करे
तुझे भी
महसूस हो कभी
किसी की अनदेखी
महफिल में उसे बुलाकर
करने पर
खुद के दिल को
क्या तकलीफ देती हे।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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