तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
07 सितंबर 2010
राजस्थान में ७० मोतों का ज़िम्मेदार कोन
राजथान में सरकार की हठधर्मिता और चिकित्सकों की हडताली जिद के कारण जोधपुर जयपुर और कोटा में ७० से भी अधिक मरीजों की म़ोत हो गयी हे , इंसान के भेष में हेवान बने इन चिकित्सकों को खुदा ने तो मसीहा बनाया था लेकिन यही डोक्टर इन निर्दोषों की म़ोत का कारण बन यमराज बन गये । बात कुछ नहीं केवल जिद की थी और राज्य सरकार ने लोगों की बेहिसाब मोतों के बाद डॉक्टरों की सभी मांगें मानकर उन्हें आश्वासन देकर हडताल तुडवा दी , राजस्थान सरकार आखिर हर बार बिना किसी वजह के ऐसे हालात बनाती हे के जिद के कारण हडताल और फिर कानून व्यवथा में बिगाड़ होता हे कुछ दिनों बाद सरकार बातचीत करती हे और फिर हडताल खत्म करवाती हे आखिर राजस्थान सरकार ऐसी असंवेदनशील केसे हो रही हे के वोह किसी भी मुद्दे पर बिना हड़ताल के कोई बात सुनने को तय्यार नहीं हे , राजस्थान में चिकित्सकों का डिमांड चार्टर सरकार को पहले से ही पता था और सरकार चाहती तो बिना चिकित्सकों को हड़ताल के पहले ही बातचीत कर चिकित्सकों को खुश कर सकती थी आखिर जो मनागें ७२ घंटे की चिकित्सकों की हडताल के बाद सरकार ने मानी वही मांगे अगर सरकार बिना हडताल के मान लेती तो सरकार का क्या बिगड़ जाता कमसे कम राजस्थान में ७० बे म़ोत मरे मरीजों की जन तो बचाई जा सकती थी राजस्थान सरकार का दिमाग इन दिनों ना जाने कहां हे स्न्वेद्न्शिलता का नारा देने वाली यह सरकार हर तबके के साथ असंवेदनशीलता बता रही हे वकील हों चाहे ग्रामसेवक हों चाहे मास्टर हों चाहे सरपंच हों चाहे नगर निगम के पार्षद हों सरकार कहीं भी किसी भी तरह खुद आगे रह कर कोई कद नहीं उठा रही हे जब सभी वर्ग को लोग हडताल पर जाते हें तो उन्हें उपेक्षित कर हिंसक हडताल के लियें उकसाया जाता हे और फिर उनसे बात की जाती हे यह केसी संवेदनशीलता के जहाँ हर वर्ग की समस्याओं के कारण और निवारण का खुद सरकार को अपनी सर्वेक्षण विशेषग्य टीम से सर्वेक्षण करवाकर समस्याओं का निराकरण बिना मांगे या हडताल करे करवाना चाहिए वहां अनावश्यक माहोल बिगाड़ कर सरकार ऐसा कर रही हे , राजथान में जहाँ तक डॉक्टरों का सवाल हे डॉक्टरों के खिलाफ फोजदारी मुकदमे दर्ज होने और सरकार ने उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देश के अनुसार पुलिस अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश दे रखे हें इतना ही नहीं चिकित्सकों के साथ मारपिटाई के मामले में चिकित्सक सुरक्षा कानून बनाया हे जिसके तहत मारपीट करने वाले के विरुद्ध अजमानतीय अपराध दर्ज होता हे फिर चिकित्सकों को किस मामले में परेशानी हो सकती हे सरकार जिसने बिना किसी वजह इस हडताल को तूल दिया हे और चिकित्सकों ने भी लोगों की जो हत्याएं इलाज नहीं कर की हें इसके लियें सरकार और चिकित्सक दोनों बराबर के दोषी हें लेकिन इन्हें सजा कोन देगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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इन 70 मौतों के लिए सरकार जिम्मेदार है जो चिकित्सकों को पर्याप्त सुविधा मुहैया नहीं कराती है और मरीजों के लिए पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था। एक वकील को कोई गाली-गलौच भी कर दे तो क्यों वे हड़ताल कर देते हैं? मौजूदा व्यवस्था ने सारी सामाजिक सहिष्णुता को बत्ती लगा दी है। इस के लिए सरकारें और व्यवस्था जिम्मेदार है।
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