तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
03 सितंबर 2010
कल शिक्षक दिवस हे पर रविवार होने से आज ही मनेगा
स्वर्गीय राधाकृष्ण की याद में ५ सितम्बर को मनाया जाने वाला शिक्षक दिवस अवकाश होने से स्कूलों में शनिवार को ही मनाया जा रहा हे शिक्षक यानी गुरु यानी उस्ताद इस मामले में सर्वप्रथम एक कथा गुरुद्रोनाचार्य और एकलव्य की हे जिसने अपने शिष्यों में भेदभाव बरत कर एकलव्य की तीरंदाजी देख गुरुद्क्षना में उसका अंगूठा मांग लिया था और एकलव्य ने अपने गुरु को बिना किसी हिल हुज्जत के अंगूठा काट कर दे दिया था , दूसरी तरफ अर्जुन तहे जिन्होंने धर्मयुद्ध के चलते अपने शिक्षक गुरु द्रोणाचार्य के खिलाफ युद्ध लढ़ा । तो दोस्तों शिक्षक किसिस भी समाज देश के निर्माता होते हें बच्चे के पैदा होने के बाद एक मान ही उसकी पहली शिक्षक होती हे जो उसे बोलना,चलना,खाना,पीना सिखाती हे फिर एक निश्चित आयु होने पर बाहर के शिक्षक के हवाले वही मान अपने बच्चे को करती हे लेकिन माँ की शिक्षा,दादा दादी की शिक्षा और स्कुल या गुरुकुल के शिक्षक में ज़मीं आसमां का फर्क हे पहले शिक्षा को मिशन समझ कर कम किया जाता था लेकिन अब शिख्शा को व्यवसाय समझा जाता हे , आज शिक्षक को १० लाख रूपये प्रतिमाह कोचिंगों में दिए जा रहे हें आज के शिक्षक स्कूलों में बच्चों को नोकरी प्राप्त करने की जहनियत तो दे रहे हें लेकिन बच्चे मानवीय संवेदनाओं से दूर हें उन्हें रिश्ते नाते यद् नहीं हे बस उनमें जो शिक्षा हे वोह सिर्फ रूपये कमाने की धुन हे उन्हें आज किसी से कोई सामजिक सरोकार नहीं हे इन सब परिस्थतियों में स्कूलों में शिक्षक दिवस का सरोकार भी कुछ ख़ास नहीं लगता हे , आज शिक्षकों को सरकारी स्तर पर कहने को तो निकम्मा साबित किया जाता हे लेकिन सरकारी स्कूलों में जन बुझ कर शिक्षकों को दुसरे कामों में लगाकर पीड़ित किया जाता हे ताकि यह लोग स्कुल के परिणाम सही नहीं दे सकें और फिर बच्चे निजी स्कूलों में जाकर पढाई करें आज शिक्षा गारंटी कानून चाहे आ गया हे लेकिन सरकार और शिक्षक इस मामले में गम्भीर नहीं हे , दोस्तों इस दिवस की अपनी एहमियत हे हमारे देश में कहावत हे के गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लागे पाऊं गुरु बलिहारी आपने इसका मतलब शिक्षक का दर्जा इश्वर से भी बढा हे शिक्षक का दर्जा जन्मदाता माता पिता से भी बढ़ा हे ऐसे में इस पद की गरिमा खुद शिक्षकों को ही बनाना पढ़ेगी फिर भी शिक्षक दिवस पर देश के सभी शिक्षकों को माता शिक्षकों को अग्रिम बधाई और ब्लोगर्स साथियों में जो भी शिक्षक हों उनको भी बधाई । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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