आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

03 सितंबर 2010

तेरे लियें


हे कोई जो तेरे लियें
फूलों में खुशबु लिए
चलता रहा हे कोई
चाँद सूरज की तरह
छुपता रहा हे
तेरे लियें कोई
दास्ताँ जीवन की
लिखता रहा हे
तेरे लियें कोई चुपचाप
तेरे लियें नदियों की कलकल में
मचलता रहा हे कोई
तेरे लियें मचला हे
कितनी बार दिल
शुरू कहां से करूं यह दास्तान
सिलसिलों की सजधज में
भलता रहा हे तेरे लियें कोई
खुद की जिंदगी की
किताबों के पन्ने
पलटता रहा हे तेरे लियें कोई।
हर कदम पर लड़ ख्डाया हे
ठोकरे कहा खाकर भी
सम्भलता रहा हे फिर भी
तेरे लियें कोई
म़ोत आई सेकड़ों बार
आगोश में लेने उसे
तुझे पाने की हसरत में
जिंदा रहा हे
तेरे लियें कोई।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...