आपका-अख्तर खान

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28 सितंबर 2010

फेसला हो गया

जिंदगी की राह में
वोह दो कदम भी
ना चल सका मेरे साथ ,
बेवफा कोन हे
देखो फेसला हो गया आज ,
नफरत कल जो
फेला रहा था
मेरे खिलाफ
वोह देखो
लोगों को दिखाने के लियें
मिला रहा हे
मुझ से दोस्ती का हाथ। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. अख्तर साहब आपकी दोनों रचनाएँ बहुत सुन्दर हैं,
    आपने अभी मेरे ब्लॉग (अकेला कलम...) पर अपनी बहुमूल्य टिप्पणी दी थी जिसकी अंतिम की कुछ पंक्तियाँ मैं समझ नहीं पाया, जिसमें शायद आपने कुछ पूछा है, कृपया अंतिम की पंक्तियाँ हिन्दी में लिख देते तो मैं आपके प्रश्नों का जबाब ठीक ढंग से दे पाता.


    यहाँ भी पधारें:-
    ईदगाह कहानी समीक्षा

    जवाब देंहटाएं
  2. आपज जरूर आहत हुए हैं, खैर कोई बात नही ये जिन्दगी की तासीर हैं।

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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