आपका-अख्तर खान

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03 सितंबर 2010

यह रिश्ते अजीब होते हें

यह रिश्ते भी अजीब हें
बहुत याद आयेंगे यह रिश्ते
मोम की तरह हें
जल जायेंगे रिश्ते
तपन पढ़ी सूरज की
तो पिघल जायेंगे रिश्ते
जब भी तुम उन्हें
देखोगे हसरत से
ज्ब्राख के ढेर में
बदल जायेंगे रिश्ते
धागे की तरह हें कमजोर
नाखेंचों इन्हें इतना
टूट गये अगर
तो नफरत में बदल जायेंगे
उलझा के रखा रिश्तों को
तो कुछ दिन ही चलेंगे
सुलझेंगे अगर
तो जिंदगी भर
चल जायेंगे रिश्ते
पाकीज़ा मोहब्बत की
खुशबु आयेगी इन रिश्तों से
वफाओं के सांचे में
जो ढल जायेंगे रिश्ते
यकीन हे तो रहेगा रिश्ता
शक करोगे तो बस
दुश्मनी में बदल जायेंगे रिश्ते।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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