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12 सितंबर 2010

सरकार और चुनाव आयोग भ्रष्ट और अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकेगा

केन्द्रीय विधि मंत्री वीरप्पा मोइली ने कल एक समारोह में कहा हे के केंद ऐसा कानून बनाने जा रही हे के भ्रष्ट और अपराधी प्रव्रत्ति के लोग चुनाव नहीं लड़ सकें , शायद मोइली जी ओ ये पता नहीं के इस मामले में कानून पहले से ही बना हुआ हे और कानून सेद्धान्तिक भी हे जब कसी व्यक्ति को सजा नहीं हुई तो उसे मुलजिम नहीं मन जा सकता आगर मुकदमा दर्ज होना हे चुनाव की योग्यता होगी तो फिर तो कोई भी किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर उसे चुनाव से बाहर कर देगा राजनितिक दुश्मनी निकलेगा , मोइली जी को कानून ही बनाना हे ओत चुनाव किस इ पार्टी से लड़ो चाहे निर्दलीय लड़ों और फिर जनता से विश्वासघात कर जितने के बाद सत्ता में आने के लियें समर्थन देकर सत्ता में आ जाओ इस बात का कानून बनाना चाहिए क्यूंकि एक व्यक्ति जब निर्दलीय या किसी पार्टी से चुनाव लड़ता हे तो मतदाता दूसरी पार्टियों के खिलाफ वोट डालकर उसे जीतता हे फिर उसके मतदाता जिस पार्टी के खिलाफ उसे वोट डालते हें वही व्यक्ति जीतने के बाद सत्ता में आने के लियें उस पार्टी को समर्थन कर सत्ता में आ जाता हे तो क्या यह जनता के साथ धोखा नहीं हे ।
विधि मंत्री जी अगर कानून बनाना हे तो संसद में सदस्यों की उपस्थिति का कानून बनाओ , संसद में कोई भी विधी हो उस पर वाक् आउट करने वाले सदस्यों को जेल भेजने का कानून बनाओ संसद में हर सदस्य के लियें हर विधेयक हर मुद्दे पर बहस में हिस्सा लेने और वोट पश य विप्क्स में डालें का कानून बनाओं क्योंकि सब जानते हें के वोटों का गणित बिगाड़ने के लियें वाक् आउट के नाम पर भी रिश्वतें ली जाती हे और देश की जनता के साथ धोखा होता हे ।
चुनाव आयोग भी इस मामले में कानून की बात करता हे लेकिन जरा वोह बताये के जब संगठनों के चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से नहीं होते हें तो फिर वोह क्यूँ इन दलों की अन्यता समाप्त नहीं करते क्यूँ रिटायर्ड लोग जिन्हें सरकार व्रद्ध होने की वजह से सेवानिव्र्त्ति देती हे क्यूँ उन्हें चुनाव का अवसर दिया जाता हे हमेशा अफसर शाह ही क्यूँ महत्वपूर्ण पदों पर रिटायरमेंट के बाद बैठते हें क्यूँ चुनाव की अधिकतम आयु निर्धारित नहीं की जाती सठिया जाने वाले फार्मूले के खिलाफ सरकार हर बार साथ साल से ज्यादा वाले व्यक्ति के पास क्यूँ होती हे युवाओं का बहिष्कार हर चुनाव में क्यूँ होता हे चुनाव के जो नियम हें उनकी पालना क्यूँ नहीं होती हे कोई पूंछने वाला के देश के अरबो रूपये क्रच कर पुरे पांचों साल निर्वाचन का कम चलता हे मतदाता सूचियाँ बनती हें फिर क्यूँ लाखों लोगों के नाम मतदाता सूचि में नहीं आ पाते क्यूँ नाम लिंग आयु गलत छप जाती हे क्या कभी निर्वाचन आयोग ने इन गलतियों की ज़िम्मेदारी ली हे क्यूँ खुद आयोग चुनाव की पर्चियां मतदाताओं तक बूथ वाइज़ उनके घर नहीं पहुंचाता चुनाव केन्द्रों पर क्यूँ सरकार के आदमी मदद के लियें नहीं होते और फिर यही कम पार्टियों को करना पढ़ता हे जिनके कार्यकर्ता गडबड कर चुनाव प्रभावित करते हें और चुनाव महंगा भी होता हे विधि मंत्री जी बदल डालो इस टूटे फूटे कानून को जिसमे जनता पिसती हे और अफसर नेता न्त्री ही मजे करते हें वोह जो बोल्दें वही कानून मन जाता हे बल दालों ऐसे सभी कानूनों को लेकिन आप भी तो इन्हीं इ से एक हें आपसे क्या उम्मीद करें मेरी तो सिर्फ मेरे ब्लोगर भाइयों से उम्मीद हे के इस मामले में जाग्रति अभियान चलायें और चुनाव आयोग चुनाव कानून संसद और विधानसभा के कानूनों को जनता की अदालतों में रख कर बनवाया जाये । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

  1. ha ha ha ha ........ majak kar rahe hai janab

    मुस्कुराना चाहते है तो यहाँ आये :-
    (क्या आपने भी कभी ऐसा प्रेमपत्र लिखा है ..)
    (क्या आप के कंप्यूटर में भी ये खराबी है .... )
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. जबतक देश की जनता भारत सरकार को दलाल बनाने वाली पार्टियों का बहिष्कार नहीं करेगी तबतक इस देश में कुछ भी बदलाव नहीं आएगा ,आज जरूरत है लूटेरों और गद्दार राष्ट्रिय पार्टियों के सामाजिक बहिष्कार और उसके ऊपर प्रतिबंध लगाने की मांग को एकजुट होकर बुलंद करने की ...

    जवाब देंहटाएं

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