आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

13 सितंबर 2010

में कितना खुश हूँ


में कितना खुश हूँ
तेरे जाने के बाद
आ ,
जरा आकर तो देख ,
तुने सोचा था
मर जाउगा तेरे बगेर
देख
कितनी तितलियाँ हें
मेरे आगे पीछे
जरा आकर तो देख ,
तेरी ही सदा थी
मेरे दिल और दिमाग में
एक दिन
तू चली गयी तो क्या
मुझ से
सदायें कई और टकराई हें
कितने खुबसुरत
बने हें
पत्थर के बुत
मेरे महबूब
आ जरा
आकर तो देख ,
तू जहां थी
वहीं आज भी हे
नफरत और कडवाहट
तेरे जहन में आज भी हे
शक का
वहम हे
आज भी तेरे जहन में
तू जल रही हे
तू पिघल रही हे
मोम की तरह
में आज भी खुश हूँ
में आज भी मुस्कुराता हूँ
आ देख
जरा आकर तो देख।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. bahut pyaaree kavita...
    नफरत और कडवाहट
    तेरे जहन में आज भी हे
    शक का
    वहम हे
    आज भी तेरे जहन में
    तू जल रही हे
    तू पिघल रही हे
    मोम की तरह
    में आज भी खुश हूँ
    में आज भी मुस्कुराता हूँ
    best lines...

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...