आपका-अख्तर खान

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13 सितंबर 2010

तेरे लियें


तेरे लियें
तडपते हें
तेरे लियें
पीते हें
जिंदगी का
जहर
मिटा करते हें
तेरे लियें
म़ोत
आना चाहती हे
लेकिन
रोज़ धोखा
उसे देकर
इस बेरहम
जिंदगी को
सिर्फ और सिर्फ
किस्तों में
तेरे लियें
जीते हें।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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