आपका-अख्तर खान

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10 सितंबर 2010

चाँद केसा केसा

किसी शायर ने कहा हे
ऐ चाँद
इतना ना शर्मा
हमने भी चाँद देखे हें
तुझ में तो दाग हे
हमने बेदाग़ देखे हें ।
लेकिन मेने कल और आज के चाँद में जो फर्क देखा हे वोह अर्श से फर्श तक का यानी ज़मीं से आसमां तक का फर्क हे कल चाँद दिखने के वक्त देश भर की हिला कमेटियां ,मीडिया , केमरे पूरी दुनिया पूरा हिन्दुस्तान टकटकी लगाये चाँद की तरफ निगाहें गडाए इस इन्तिज़ार में था के ईद के चाँद की एक झलक सिर्फ एक झलक दिख जाये लेकिन चाँद भाई थे के एक के लियें भी उन्होंने दर्शन नहीं दिए , निराश हताश लोग जिन में कुछ पल पहले चाँद देखने का उत्साह था छतों से नीचे उतर आये और फिर आज दुसरे दिन उसी चाँद को देखने के लियें ना तो हिलाल कमेटिया उत्सुक थीं नाही आम लोग इस चाँद को देखने के लियें आतुर थे केवल एक रस्म के चान्द आज दिखेगा इस नजर से वोह चाँद को देख रहे थे ना तो मीडिया को इस चाँद की फ़िक्र थी ना ही जनता प्रशासन बच्चों को इस चाँद के बारे में कुछ उत्सुकता थी अब देखों कल के चाँद और आज के चाँद में कितना फर्क हो गया हे इसलियें कहते हें के भाई हर चीज़ की कीमत सिर्फ सही वक्त पर ही होती हे वना तो फिर वोह कबाड़े में रखे रहने लायक भी नहीं रहती । । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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