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09 सितंबर 2010

हिंदी प्रेम का या तो नाटक छोड़ो या फिर इसे अपनाने के लियें कानून बनाओ

दोस्तों हमारी देश में देश भर की संवेधानिक भाषा हिंदी चाहे हिंदी प्रेमियों के लियें भाषा हो लेकिन गेर हिंदी भाषियों के लियें यही भाषा आँख की किरकिरी बनी हुई हे महाराष्ट्र,उड़ीसा,दक्षिणी भारत सहित कई ऐसे राज्य हें जहां हिंदी बोलने पर पिता जाता हे हिंदी का दुकान पर बोर्ड लगाने पर दूकान जला दी जाती हे जिस देश में यह सब होता हे वहां एक पहलु यह भी हे के सरकार द्वारा देश भर में हिदी को राष्ट्र भाषा घोषित कर उस पर हर साल हिदी दिवस और हिदी अपनाओ का नारा देकर अरबों रूपये खर्च किये जाते हें देश में हिंदी के साथ मजाक देखिये के सभी बेंकों की भाषा अंग्रजी में चलती हे और अंरेज़ी में भेजे गये पत्र के नीचे छपा होता हे हिंदी अपनाओ ,देश में स्कूलों,सरकारी कार्यालयों,सुप्रीमकोर्ट , हाई कोर्ट, जिला कोर्ट में हिंदी लागू नहीं हे फिर हम देश में हिंदी केसे लागू करेंगे , समझ में नहीं आता हमारे देश में १४ सितम्बर हिदी दिवस के साथ हिंदी पखवाडा मनाया जाता हे राष्ट्रिय ताकत को हिंदी अपनाने के नाम पर बर्बाद क्या जाता हे लेकिन हिंदी बोलने हिंदी में पत्र व्यवहार करने की पाबंदी नहीं होने पर लोग केवल अंग्रेजी को ही अपनी भाषा अपनाते हें क्षेत्रीय भाषाएँ हिंदी पर हावी हें और अंग्रेजी ने तो हिंदी के साथ कदम कदम पर बलात्कार क्या हे हिंदी में शपथ लेने वाले मंत्रियों और सांसदों का भी नाटक यह हे के वोह अधिकतम अंग्रेजी में ही बोलते हें आप खुद ही बताएं क्या देश एन ऐसे हिंदी भाषा को अपनाया जा सकेगा नहीं ना तो फिर हिंदी अपनाने के नाम पर यह दिखावा यह फ़िज़ूल खर्ची यह नाटक क्यूँ ।
दोस्तों अगर देश में हिंदी संवेधानिक भाषा होने के बाद भी अपनाई नहीं गयी हे तो यह एक राजनीति हे और सरकारी कमजोरी ही कहलाई जायेगी , देश में हिंदी अगर राष्ट्रभाषा घोहित की गयी हे तो हिंदी देश की राष्ट्रभाषा होना ही चाहिए यह केसी राष्ट्रीयता के देश के ५० फीसदी लोगों को राष्ट्रभाषा हिंदी का ज्ञान नही हे , दोस्तों अप खुद देखो सोचो और हिंदी देश की राष्ट्रिय भाषा बनाने में जो मेरे सुझाव हें उन्हें सरकार तक पहुँचाओ शायद कुछ हो जाए , देश में प्रत्येक नोकरी के लियें हिंदी बोलने वाले व्यक्ति को ही सरारी नोकरी में लिया जाना अनिवार्य क्या जाय। देश में कोई भी पद हो चाहे पार्षद, चाहे पंच सरपंच, चाहे विधायक चाहे सांसद कोई भी चुनाव हो कानून बनाया ए के यह चुनाव सिर्फ वही व्यक्ति लद सकेगा जो हिंदी बोलना और लिखना जानता हो । संसद की बहस और कोर्ट की भाषा हिंदी की जाए। बेंकों और बीमा सहित निजी उद्योगों की कामकाज की भाषा हिंदी बनाने की अनिवार्यता की जाये अन्यथा उनके लाइसेसे खत्म क्या जाए । इन सब को लागू करने के लियें देश में हिंदी प्रोटेक्शन एक्ट बनाया जाये जिसमें हिंदी का अपमान करने वाले , हिंदी की उपेक्षा करने वालों को कठोर दंड और जुर्माने का प्रावधान हों , लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम में भी संशोधन हो के जो कोई भी हिंदी का अपमान करेगा या हिदी को अपमानित करने वालों का समर्थन करेगा उसे उसके पद से हटा दिया जाएगा और निर्योग्य घोषित क्या जाएगा लेकिन क्या देश में देश की राजनीति में इतना साहस हे नहीं ना क्यूंकि दोस्तों हिंदी दिवस, हिंदी राष्ट्रिय भाषा , हिंदी संवेधानिक भाषा के नाम पर जो सरकारी नोटंकी हे यह सब तो हमें और आपको बेवकूफ बनाने के लियें होता हे खेर हिंदी प्रोटेक्शन एक्ट अगर बन जाए तो बस देश में हिंदी का सम्मान भी हो और हिंदी अपनाई भी आने लगे लेकिन यह सब तभी सम्भव हे जब देश के नेता पत्रकार और ब्लोगर्स इस के लियें मुहीम चलाएंगे जय हिंद जय हिदी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती ,हिंदी एक इमानदार भाषा है और जो सरकार इसके प्रचार प्रसार में रूचि नहीं ले रही वो पूरी सरकार ही गद्दार और बेईमान है ...

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  2. ... क्या बात है अख्तर मियां .... ईद की अग्रिम मुबारकां !!!

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  3. अपकी बात से सहमत हूँ। ईद की बहुत बहुत मुबारक।

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  4. आपको एवं आपके परिवार को ईद की बहुत बहुत मुबारक !
    बहुत सुन्दर और शानदार प्रस्तुती!

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