आपका-अख्तर खान

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01 सितंबर 2010

तेरा इन्तिज़ार

बरसों से
करते हुए
तेरा इन्तिज़ार
आज मेरी यह
हालत हुई
चटकी कोई
नाज़ुक कली
सोचा मेने
तुम आगये
फुल पर शबनम गिरी
सोचा मेने
तुम आगये
कोयल कुकी
अम्बा की डाली हिली
सोचा तुम आगये
पत्ते हिले
तिनका गिरा
शाख पे चिड़िया बेठी
जब भी आई
कोई आहत
समझा तुम आगये
इन्तिज़ार में तेरे
नम हुई आँखे मेरी
फिर गिरने लगे आंसूं
आंसू बने अमृतधारा
मेने सोचा तुम आगये ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
    वाह! बहुत सुन्दर रचना!

    जवाब देंहटाएं
  2. श्री कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी की हार्दिक शुभकामनांए.
    ...bahut sundar rachna.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर रचना ..............

    जवाब देंहटाएं

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