बरसों से
करते हुए
तेरा इन्तिज़ार
आज मेरी यह
हालत हुई
चटकी कोई
नाज़ुक कली
सोचा मेने
तुम आगये
फुल पर शबनम गिरी
सोचा मेने
तुम आगये
कोयल कुकी
अम्बा की डाली हिली
सोचा तुम आगये
पत्ते हिले
तिनका गिरा
शाख पे चिड़िया बेठी
जब भी आई
कोई आहत
समझा तुम आगये
इन्तिज़ार में तेरे
नम हुई आँखे मेरी
फिर गिरने लगे आंसूं
आंसू बने अमृतधारा
मेने सोचा तुम आगये ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 सितंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर रचना!
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनांए.
जवाब देंहटाएं...bahut sundar rachna.
बहुत सुन्दर रचना ..............
जवाब देंहटाएं