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19 अगस्त 2010

अपर जिला जज लायक नहीं माना फिर भी अपर जिला जज हें

भाइयों हमारे राजस्थान में मजिस्ट्रेट और वकील से अपर जिला जज बनने के लियें लिखित परीक्षा देने के लियें विधि नियम बनाये गये हें , यहाँ राजस्थान में माननीय उच्च न्यायालय ने हल ही में जोधपुर में दोनों कोटे के लोगों में से अपर जज बनाने के लियें परीक्षा ली थी जिसमें १६ अगस्त को आश्चार्य जनक किन्तु सत्य वाले परिणाम घोषित हुए हें हजारों उम्मीदवारों में से केवल तीन दर्जन के लगभग लोग पास हुए हें बाक़ी लगभग ६ हजार फेल हें , खेर कोई बात नहीं लेकिन एक मजेदार बात यह हे के राजस्थान में फास्ट ट्रेक जज के नाम पर तदर्थ पदोन्नति देकर कुछ अधिकारियों को अपर जिला जज फास्ट ट्रेक बनाया गया हे अपर जिला जज यानि म्रत्यु दंड का अधिकार मजिस्ट्रेट के आदेशों की अपील,निगरानी सुनने का अधिकार निचली अदालत की ख़ारिज जमानत प्रार्थना पत्रों को ४३९ सी आर पि सी में सुनने का अधिकार और यह सब इन लोगों को इसलियें दिया गया हे के माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने इन लोगों को इस प्रकार के मामलों की सुनवाई के लियें योग्य माना हे लेकिन आप चोकेंगे के जिन्हें माननीय उच्चन्यायालय ने वरिष्ठता के आधार पर फास्ट ट्रेक अपर जज बनाया हे उन लोगों ने जब अपर जिला जज की लिखित परीक्षा दी तो अधिकतम लोग इसमें फेल कर दिए गये , अब हालात केसे हास्यास्पद से हें के जिन अपर जिला जज फास्ट ट्रेक पद पर कार्यरत अधिकारियों को माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने तदर्थ पदोन्नति दी हे वही लोग इस कार्य को करने के लियें ली गयी बोद्धिक परीक्षा में ना पास कर दिए गये हें अब देखों जो लोग अपर जज की परीक्षा में फेल कर दिए गये हें फिर भी वोह तो अपर जिला जज का तदर्थ काम कर ही रहे हें ऐसे में फ़सलों की गुणवत्ता का क्या होगा प्रश्न तो उठता ही हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. मजेदार खबर है। वैसे जजों का एफिशिएंसी टेस्ट हर दो वर्ष के बाद होते रहना चाहिए।

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