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19 अगस्त 2010

मोबाइल बेटरी सरकार की लापरवाही से फूटती हे

भाइयों मोबाइल बेटरी या फिर कार की बेटरी जो भी हो अगर फटती हे तो इसके लियें सरकार भी बराबर की ज़िम्मेदार हे सुनने में तो अजीब लगेगा लेकिन यह सच हे । कई वर्षों पूर्व जब बड़ी बेत्रियों में अचानक आग लगने लगी या फिर बेत्रियाँ फूटने लगीं तो सरकार ने इसे गम्भीरता से लिया और इसके रख रखाव विनिर्माण और प्रबन्धन के लियें वर्ष २००१ में नियम बनाये गये जिसमें केंद्र सरकार ने सभी इलाकों में प्र्दुष्ण विभाग से अनुमति लेकर ही इस कार्य करने की पाबंदी लगाई और एक प्रफोर्मा जिसमें समस्त जानकारियाँ देने का नियम बनाया , हाल ही में जब मोबाइल बेटरी के फटने का हव्वा खड़ा हुआ तो फिर केंद्र सरार ने बेटरी मेनेजमेंट रूल्स २०१० के नाम से इन नियमों में संशोधन कर मोबाइल बैटरियों को भी इसमें शामिल किया सरकार को पता हे के इन बैटरियों में रसायन और विशिष्ट प्रतिक्रिया होती हे जिससे हादसा हो सकता हे इलियें सुरक्षा की द्रष्टि से इस मामले में प्र्दुष्ण विभाग की ज़िम्मेदारी इस मामले में जांच के लियें डाली गयी लेकिन चाहे मोबाइल की बेटरी हो चाहे कार ट्रक की बेटरी हो इस मामले में किसी भी जिले के प्र्दुष्ण अधिकारियों ने इन नियमों का पालन नहीं किया हे और नतीजे बेटरी विस्फोटों के रूप में हे कुल मिला कर अब तक हुए हादसे जिनमें चाहे कारें जली हों या फिर मोबाईल विस्फोट हुए हों सभी के लियें सरकारी अधिकारीयों का निकम्मापन भी कुछ हद तक ज़िम्मेदार हे अगर आज भी सरकार द्वारा बनाये गये नियम बेटरी मेनेजमेंट नियम २००१ और संशोधित २०१० नियमों के तहत सख्ती हो तो फिर इस तरह के बेटरी हादसों से देश और देशवासियों को मुक्ति मिल सकती हे लेकिन यहाँ तो सब अपने अपने घर भरने में लगे हें । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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