तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 अगस्त 2010
बहुत हें ऐसे लोग
बहुत हें ऐसे लोग
जो बस
खुद के दुखों के
गीत गाते हें ।
ईद हो
होली हो चाहे दिवाली
हमेशां
बस और बस
मातम हे मनाते हें ।
कह दो उनसे
आज दुनिया उन्हीं के
इशारे पर नाचती देखी
जो परवाह
किसी की नहीं करते
और वक्त आने पर
जलती चिताओं पर भी बेठ कर
वीणा हें बजाते ।
कह दो उनसे आज
दुनिया उन्हीं की हे
जो मोत के आगोश में भी
खुशियों की फोलादी
सेज हें सजाते ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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बहुत ही सुन्दर शब्दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
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