झालावाड राजस्थान के जनाब राजेन्द्र तिवारी जी ने
अपनी रचना खुदा सा लगा में कहा हे .........
वोह समन्दर पाकर भी प्यासा लगा
दुनिया में बढा ही रुआंसा लगा ।
मुद्दतों में जिस शोहरत को हांसिल किया
वक्त खोने में उसको जरा सा लगा।
मोसम सा आलम बदल सा गया
दरमियाँ दिलों के कुन्हासा सा लगा ।
मुसीबत में वोह गुदगुदा के गया
आदमी सीरत में खड़ा सा लगा
अपनों ने जख्मों के तोहफे दिए
बेगानों से मिलके मजा सा लगा ।
सजदे में उसके थीं नुरानियां
दुआओं में असर भी खुदा सा लगा
गर्दिशों में जो हमसाया लगा
खुशियों में मेरी क्यूँ खफा सा लगा ।
प्रस्तुत करता अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी के प्रचार प्रसार मे आपका योगदान सराहनीय है।
मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !
जवाब देंहटाएंकिस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
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