जी हाँ दोस्तों
यह हमारे देश की बदनसीबी हे
के देश में कमजोर गुलाम लोगों के हाथ में
हमने हमारी सल्तनत दे दी हे
कभी हमें पाकिस्तान तो कभी इंगलिस्तान
अपने अपने हुक्म चलाता हे
जिस ब्रितानी हुकुमत को
हमारे पूर्वज स्वतन्त्रता सेनानियों ने
जूते देकर देश से भगाया था
उसी हुकुमत के लोग
देश से उन्हें भगाए जाने के दिन की वर्ष गाँठ
यानी स्वाधीनता दिवस पन्द्रह अगस्त के पहले
ब्रिटेन पर्यटन रिपोर्ट प्रकाशित करते हें
कहते हें भारत में कभी ठीक नहीं होने वाली बिमारी हें
नई दिल्ली वायरस सिंड्रोम हे जिसका इलाज किसी भी एंटी बायोटिक से नहीं हो सकता
दूसरी बात और कहते हें
भारतीयों को हाथ ना लगाओ यह झगडालू चिडचिडे होते हें
बहुत खूब कहा
देश में नई दिल्ली सिंड्रोम हे लेकिन शारीरिक बिमारी का नहीं
राजनितिक बिमारी का हे यहाँ हिन्दू मुस्लिम दंगा भड़का कर , लाशों की राजनीति कर
अमेरिका की गुलामी कर केसे भी हो भाजपा हो चाहे कोंग्रेस हो सभी पार्टिया दिल्ली की कुर्सीचाहते हें
और कुर्सी के लियें राजस्थान के गहलोत हों दिल्ली के मनमोहन हों चाहे हों अटल बिहारी
सभी ने कुर्सी हथियाने के लियें पाली हे यह बिमारी
दूसरा सवाल भारतियों में करंट हे यह चिडचिडे होते हें
भाई जो आदमी भूखा हो जिसे सुभ के बाद शाम की रोटी का फ़िक्र हो जिसका नेता उसे लुटता हो
जिनकी माँ बहनों की इज्जत सुरक्षित ना हो , जो मिलावट का खाना खाता हो जिस के देश में किसी भी सरकारी विभाग में बिना रिश्वत के कोई काम ना होता हो जिसका नेता वोट मांग कर सरकार बनाने के लियें दूसरी पार्टी में रिश्वत लेकर चला जाता हो जहां इलाज के नाम पर लुट पढाई के नाम पर डकेती हो, जहां बेटा भूख से रोता हो जहां बूढ़े माँ बाप को घर से निकला जाता हो जहां दहेज़ के लियें बहुएं जलती हों जहां अनाज गोदामों में सड़ता हो और फिर भी पक्ष विपक्ष दोनों संसद में बेठ कर चेन की बंसी बजाता हो जहां राजनीति में लानत ही लानत गंदगी ही गंदी हो वहां का नागरिक जी तो रहा हे फिर चिडचिडा हो या करंट वाला इससे क्या फर्क पढ़ता हे में कहता हूँ ब्रिटेन का एक नागरिक भी इस माहोल में एक सप्ताह भी अगर साँस ले ले तो उसे हम परम वीर चक्र देने को हम तय्यार हे दोस्तों ब्रिटेन से कह दो इन सब माहोल में भी हम ज़िंदा हें सिसक रहे हें महक रहे हें देश को गुलामी से बचा रखा हें हमारा प्रधानमन्त्री चाहे पूंजी पतियों अमेरिका का गुलाम हो फिर भी हमने इस देश को बचा रखा हे यहाँ सरकारें जुगाड़ से चलती हें और इसीलियें मेरा भारत महान हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 अगस्त 2010
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मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंमुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! सच्चाई को आपने बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है जो काबिले तारीफ़ है! इस उम्दा पोस्ट के लिए बधाई!
Aap ki narajgi swabhavik hai.Magar khijhane se kya hoga? Chaliye ham-aap hi mil kar kuchh karen.
जवाब देंहटाएंउचित नाराजगी ...पर उनकी नाराजगी भी नजरन्दाज नहीँ करना चाहिये...हमे और मजबुत होकर सही ढँग से आगे बढना चाहिये...अच्छी पोस्ट.
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