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12 अगस्त 2010

ब्रिटेन भारतीयों को बदतमीज़ मानता हे

जी हाँ दोस्तों
यह हमारे देश की बदनसीबी हे
के देश में कमजोर गुलाम लोगों के हाथ में
हमने हमारी सल्तनत दे दी हे
कभी हमें पाकिस्तान तो कभी इंगलिस्तान
अपने अपने हुक्म चलाता हे
जिस ब्रितानी हुकुमत को
हमारे पूर्वज स्वतन्त्रता सेनानियों ने
जूते देकर देश से भगाया था
उसी हुकुमत के लोग
देश से उन्हें भगाए जाने के दिन की वर्ष गाँठ
यानी स्वाधीनता दिवस पन्द्रह अगस्त के पहले
ब्रिटेन पर्यटन रिपोर्ट प्रकाशित करते हें
कहते हें भारत में कभी ठीक नहीं होने वाली बिमारी हें
नई दिल्ली वायरस सिंड्रोम हे जिसका इलाज किसी भी एंटी बायोटिक से नहीं हो सकता
दूसरी बात और कहते हें
भारतीयों को हाथ ना लगाओ यह झगडालू चिडचिडे होते हें
बहुत खूब कहा
देश में नई दिल्ली सिंड्रोम हे लेकिन शारीरिक बिमारी का नहीं
राजनितिक बिमारी का हे यहाँ हिन्दू मुस्लिम दंगा भड़का कर , लाशों की राजनीति कर
अमेरिका की गुलामी कर केसे भी हो भाजपा हो चाहे कोंग्रेस हो सभी पार्टिया दिल्ली की कुर्सीचाहते हें
और कुर्सी के लियें राजस्थान के गहलोत हों दिल्ली के मनमोहन हों चाहे हों अटल बिहारी
सभी ने कुर्सी हथियाने के लियें पाली हे यह बिमारी
दूसरा सवाल भारतियों में करंट हे यह चिडचिडे होते हें
भाई जो आदमी भूखा हो जिसे सुभ के बाद शाम की रोटी का फ़िक्र हो जिसका नेता उसे लुटता हो
जिनकी माँ बहनों की इज्जत सुरक्षित ना हो , जो मिलावट का खाना खाता हो जिस के देश में किसी भी सरकारी विभाग में बिना रिश्वत के कोई काम ना होता हो जिसका नेता वोट मांग कर सरकार बनाने के लियें दूसरी पार्टी में रिश्वत लेकर चला जाता हो जहां इलाज के नाम पर लुट पढाई के नाम पर डकेती हो, जहां बेटा भूख से रोता हो जहां बूढ़े माँ बाप को घर से निकला जाता हो जहां दहेज़ के लियें बहुएं जलती हों जहां अनाज गोदामों में सड़ता हो और फिर भी पक्ष विपक्ष दोनों संसद में बेठ कर चेन की बंसी बजाता हो जहां राजनीति में लानत ही लानत गंदगी ही गंदी हो वहां का नागरिक जी तो रहा हे फिर चिडचिडा हो या करंट वाला इससे क्या फर्क पढ़ता हे में कहता हूँ ब्रिटेन का एक नागरिक भी इस माहोल में एक सप्ताह भी अगर साँस ले ले तो उसे हम परम वीर चक्र देने को हम तय्यार हे दोस्तों ब्रिटेन से कह दो इन सब माहोल में भी हम ज़िंदा हें सिसक रहे हें महक रहे हें देश को गुलामी से बचा रखा हें हमारा प्रधानमन्त्री चाहे पूंजी पतियों अमेरिका का गुलाम हो फिर भी हमने इस देश को बचा रखा हे यहाँ सरकारें जुगाड़ से चलती हें और इसीलियें मेरा भारत महान हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! सच्चाई को आपने बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है जो काबिले तारीफ़ है! इस उम्दा पोस्ट के लिए बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  2. उचित नाराजगी ...पर उनकी नाराजगी भी नजरन्दाज नहीँ करना चाहिये...हमे और मजबुत होकर सही ढँग से आगे बढना चाहिये...अच्छी पोस्ट.

    जवाब देंहटाएं

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