आपका-अख्तर खान

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25 अगस्त 2010

मोहब्बत का जज्बा


कल
जो तडप थी
उनसे मिलन की आस में ,
आज देखों
ना जाने क्यूँ
खत्म हुई जाती हे
ना मिलने की
तडप उन्हें
ना देखने की
चाहत मुझे
इलाही
इसे क्या कहें
क्या मोहब्बत
बे पर्दा हो गयी हे ...
///अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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