मेरी मोहब्बत की
मेरी चाहत की
उसने जो
की हे रुसवाई
मेरी चाहत से
उसने की हे
जो बेफाई
उसके हर ज़ुल्म
हर ज्याद्द्ती को
जिसने देखा हे
बस
दांतों तले
उंगुलिया दबा कर
सभी ने
एक बात कही
इतना सब कुछ
होने पर भी
चेहरे पर तुम्हारे
ना कोई शिकन
ना कोई शिकायत हे
अब बताओ मुझे
जवाब क्या दूँ
में इन्हें
कुछ ना सही
बस एक
अरमान तो
तिरछी निगाह
से देखने का
हर वक्त निकाला हे
उन्होंने ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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