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12 अगस्त 2010

आज़ादी के जश्न की शुरुआत

आज कुछ लोग थे
जो अन मने मन
से
सरकारी मुलाजिम
होने के कारण
मजबूरी में
सरकारी आज़ादी का जश्न
मनाने की तय्यारी कर रहे थे ।
एक जनाब बोले
वाह भई यह केसी आज़ादी
१५ अगस्त तो रविवार को आ रही हे
हमारी एक छुट्टी का नुकसान हो गया ,
एक दुकानदार
यह केसी १५ अगस्त
इस बार तो मेरी मिठाई नहीं बिकी
दुसरा दुकनादर
काहे की १५ अगस्त
मेरे झंडे तो बिके ही नहीं ,
एक नेता
यह केसी १५ अगस्त
मुझ से तो झंडा कोई फेहराता नहीं
एक कलेक्टर
यह केसी मुसीबत हे
लोग स्टेडियम कार्यक्रम में आते ही नहीं ,
एक समाज सेवक
यह केसी १५ अगस्त
मेरा नाम
समानित होने वाली सूची में तो हे ही नहीं ,
एक व्यापारी
चलो छुट्टी करते हें और पिकनिक पर चलते हें
एक अख़बार मालिक
चलो भाई विज्ञापन दो और साल भर मस्त रहो
एक ठेकेदार
इस बार तो १५ अगस्त पर कोई ख़ास काम ही नहीं करवाया
एक मासूम
आज छुट्टी हे घर पर ही रहेंगे
एक ग्रहिणी
आज १५ अगस्त हे टी वी पर पिक्चर आएगी ।
एक लेखक
चलो कुछ लिखा जाए ,
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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