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12 अगस्त 2010

नरेगा लेक्चरार और नरेगा सरकारी वकील

दोस्तों आपने नरेगा मजदूरों के बारे में तो सूना होगा
इन मजदूरों को १३० रूपये प्रति दिन आसानी से मिल जाते हें
हमारे देश में समान काम समान दाम का सिद्धांत संविधान के अनुच्छेद १४ में भी लिख दिया गया हे
लेकिन दोस्तों कानून के जानकार कानून से लोगों को इन्साफ दिलाने वाले लडाके
इस असमानता से दुखी और शोषित हें
विधि के छात्रों को सरकारी नियुक्त व्याख्याताओं को कमसे कम ६० हजार रूपये प्रतिमाह मिल रहे हें
लेकिन सरकारी स्तर पर वकील कोटे से इसी काम के लियें नियुक्त व्याख्याताओं को मात्र दो हजार रूपये
प्रति माह मिल रहे हें अब देखिये कानून तो समान काम का समान दाम हे संविधान भी यही कहता हे लेकिन
कानून के जानकार लडाकों को ही अगर नरेगा मजदूरों से भी कम मजदूरी मिले तो इस देश का भविष्य क्या
कहिये एक बात और हे सरकारी कर्मचारी सहायक लोक अभियोजक यानी पी पी सरकार की पेरवी के लियें ३० से ४० हजार रूपये प्रति माह वेतन लेता हे छुट्टियां और मेडिकल के साथ अन्य सुविधाएं अलग से हें लेकिन
सरकार द्वारा नियुक्त इसी काम को करने वाले वकील नियुक्त पी पी को केवल आठ हजार रूपये प्रति माह दिए जाते हें सरकारी नोकरी में लगे पी पी सिविल काम और दूसरा काम नहीं करते यानी उनका काम वकील कोट से
नियुक्त पी पी से आधा होता हे और फिर भी वेतन के मजे हें जबकि वकील कोट के पी पी को सिविल और दुसरे काम अलग से करना पढ़ते हें फिर भी उसे केवल आठ हजार रूपये मात्र प्रतिमाह वेतन दिया जाता हे अब देखिये जिस वकील समुदाय ने अंग्रेजों को देश से खदेड़ने में आज़ादी का आन्दोलन चलाया आज वही वकील शोषित और उत्पीडित हे ताज्ज्जुब तो इस बात का हे के वकीलों की संस्था बार कोंसिल ने इस मामले में विचार कर कोई प्रस्ताव या नाराजगी का प्रस्ताव सरकारों के पास नहीं भेजा हे , हे ना मजेदार बात वकील और वकीलों को पढाने वाले वकील लेक्चरार भी नरेगा कर्मचारियों की तरह हो गये हे लेकिन फर्क इतना हे मजदूरों को वेतन अधिक मिलता हे और इन्हें बहुत कम . देखते हें इस मामले में सरकार या वकीलों की संस्था वकीलों के हित में क्या कुच्छ करती हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. क्यों करते हैं, वकील ये काम। दो चार बरस तक बहिष्कार नहीं कर सकते। बार कौंसिल औऱ बार एसोसिएशन क्या अपने यहाँ प्रस्ताव पारित कर यह नहीं कह सकती क्या कि कोई भी वकील इस फीस पर काम नहीं करेगा?

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  2. कानून का मजाक कानून के जानकार ही बनाते हैं ये देखकर बहुत दुःख होता है ..शर्मनाक है ये सरकार और इसकी व्यवस्था ...

    जवाब देंहटाएं

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