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09 अगस्त 2010

रमजान का नूर एक दिन दूर

दोस्तों आदाब अर्ज़ हे वोह सहरी का मजा ,वोह इफ्तार की चाहत ,वोह कुरान की तिलावत ,वोह नमाज़ का माहोल ,वोह रोज़े का नूर दोस्तों अब सिर्फ एक दिन दूर। दोस्तों जीनु भाइयों में उपवास व्रत और मुसलमानों में रमजान करीब मिलते जुलते नाम हे बस फर्क इतना हे के र्म्जानों में सूर्योदय के पूर्व खाना पीना बंद कर इबादत की जाती हे और फिर सूर्यास्त के बाद यानी चन्द्र उदय के बाद इफ्तार होता हे रोज़े साल में प्रति माह चाहे बकराईद हो चाहे मुहर्रम कहीं ना कहीं रोज़े की फज़ीलत की बयानी हे लेकिन रमजान का महीना अपना अलग महत्व रखता हे इस माह में इस्लाम धर्म का कानून इस्लाम धर्म का पवित्र धर्म ग्रन्थ कुरान शरीफ मुकम्मल हुआ था और इसीलियें इस माह में कुरान मजीद की तिलावत पुरे माह होती हे जिसे तरावीह भी कहते हें रोज़े में हर शख्स आँख,कान,मुंह,गला,गुप्तांग,नाक,कुल मिला कर सभी इन्द्रियों का रोजा रखता हे यानी एक शपथ लेता हे के वोह किसी भी प्रकार की बुराई नहीं करेगा और हर बुराई से बचेगा और भूखे प्यासे रह कर हर शख्स खुद को बुराई से बचाने की खुदा से इबादत करता हे , कहते हें के देश भर के २० करोड़ मुसलमानों में स ६ करोड़ मुसलमान प्रति दिन पुरे ३० दिन के रोज़े रखते हें जो कमसे कम एक वक्त के खाने को बचाते हें और वोह एक दो करोड़ किलों अनाज प्रति दिन की बचत मानी गयी हे जो ३० दिन में साथ करोड़ किलो होती हे जिसकी कीमत ६०० करोड़ रूपये होती हे इस देश में इतना अनाज मुसलमान प्रति वर्ष बचा देते हें साथ ही कहां बनाने की गेस इंधन और सब्जी की बचत अलग से होती हे ,खेर यह बात अलग हे लेकिन इस महीने में पवित्रता और इस्लाम के विधि नियमों पर चलने की शिक्षा के साथ साथ त्याग,बलिदान,भाई चारा सद्भावना की सिख भी मिलती हे , देश में रोज़े अफ्तार के नाम पर स्द्भावा संदेश के नाम पर राजनीति भी होने लगी हे , इस महीने में प्रत्येक मुसलमान अपना एखा जोखा भी तय्यार कर उसमे से तय शुदा रकम या हिस्सा गरीबों में देने के लियें जकात भी देता हे और यही सिद्धांत समाजवाद का सिद्धांत और गरीबों के उत्थान का सिद्धांत हे , तो जनाब रोज़े की आमद पर सब को मुबारक बाद ।
रोज़े हों या हों व्रत
या फिर हो उपवास
सभी की शिक्षा हे
के बंद करो
बेहूदगी और बकवास ।
रोज़े हों या उपवास
सीख देते
त्याग ,तपस्या बलिदान की
भाई चारा ,सद्भावना और
दूसरों को दिए जाने अभयदान की ,
जमा अपनी पूंजी का हिस्सा
ग़रीबों में बांटों ,
जो बुरे हें अपनों में
उनको बुराई से रोकने के लियें डाटो
अपना हो चाहे हो पराया
रोज़े हों या व्रत या हो उपवास
देश भक्ति में लगो
बंद करो नफरत की बकवास । ..... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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