आपका-अख्तर खान

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13 अगस्त 2010

ना हो उदास यारों


जिंदगी में
उदास होने वालों
हर लम्हे आंसू बहाने वालों
पोंछ लो आंसू
थोड़ा मुस्कुरा भी लो
यारों जिंदगी को
थोड़ा हंसकर भी गुजारो,
थोड़ा घर से
बाहर तो निकलो
देखो
कहां मातम नहीं हे
देख लो फिर भी दुनिया की
रोनक कम नहीं हे
मुझे देखो
कई ऐसे जख्म मिले हें
जिन का मरहम भी कहीं नहीं हे
आंसू पोंछो थोड़ा हंस लो यारों।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. कमाल कि पंक्तियाँ है, बहुत ही सुन्दर सन्देश देती हुई खूबसूरत रचना, बेहतरीन!

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