तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
13 अगस्त 2010
ना हो उदास यारों
जिंदगी में
उदास होने वालों
हर लम्हे आंसू बहाने वालों
पोंछ लो आंसू
थोड़ा मुस्कुरा भी लो
यारों जिंदगी को
थोड़ा हंसकर भी गुजारो,
थोड़ा घर से
बाहर तो निकलो
देखो
कहां मातम नहीं हे
देख लो फिर भी दुनिया की
रोनक कम नहीं हे
मुझे देखो
कई ऐसे जख्म मिले हें
जिन का मरहम भी कहीं नहीं हे
आंसू पोंछो थोड़ा हंस लो यारों।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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कमाल कि पंक्तियाँ है, बहुत ही सुन्दर सन्देश देती हुई खूबसूरत रचना, बेहतरीन!
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