देश में ही नहीं विश्व भर में रोजा आफ्टर कार्यक्रम के आयोजन को राजनितिक रूप दिया जाने लगा हे अभी कल अमेरिका में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वहां के मुसलमानों को बुलाकर रोजा आफ्टर कार्यक्रम कराया , हमारे देश में भी पिछले कुछ वर्षों से यह परम्परा अब राजनीति बन गयी हे प्रधानमन्त्री,राष्ट्र पति ,मुख्यमंत्री,राज्यपाल मंत्री अधिकारी संस्थाए सभी रोज़े आफ्टर की राजनीति पर उतर आई हे यह सब दिल से नहीं केवल राजनितिक रस्म निभाने के लियें किया जाता हे वोटों की राजनीती के तहत यह सब अब भाजपा में भी खुले आम होने लगा हे । रोजा अफ्तार यानी रोज़ेदार लोगों के सम्मान में ईमान की कमाई से उन्हें बिना किसी लोभ लालच के बुलाकर रोजा आफ्टर कराना कहलाता हे लेकिन मेरे इस देश में इस पवित्र कार्य का खर्च कहां से आता हे और इस खर्च की वसूली के लियें कितने काले गोरखधंधे होते हें यहे भी किसी से छुपा नहीं हे , कई लोग जो सही मायनों में रोजा रखते हें अगर वोह जाते भी हें तो बस खुद की जेब में पिंड खजूर लेजाकर उससे रोजा अफ्तार करते हें , तो दोस्तों रोज़े अफ्तार की यह रस्म जहां कोई एकता का माहोल बनाने के लियें शुरू की गयी थी वही आज इससे देश में और तुस्तिक्र्ण को बढ़ावा मिला हे साथ ही बेरोज्दारों की भीड़ ने इसमें राजनीति और खतरनाक कर दी हे ,
देश में अगर कोमी एकता का रोजा अफ्तार कराना हे तो फिर विश्व हिन्दू परिषद,बजरंग दल ,शिवसेना तो मुसलमानों को रोजा इफ्तियार कराएँ उनकी नमाज़ वजू का इन्तिज़ाम करें और मुसलमान भाई की तंजीम जमाते इस्लामी, मुस्लिम लीग सब मिलकर हिन्दू भाइयों के नोरते के व्रतों में उनके व्रत खुलवाने का कार्यक्रम करें जब कही देश में कोमी एकता सम्भव हे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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