चुनाव आगये हें
आस्तीनें चढाओ
फिर
दंगे भडकाना हे
फिर से देश में आग लगाना हे
चुनाव आ गये हें
आस्तीने चढाओ यारों
वोह देखो
फिर से तय्यारी में हें
लीडर कुर्सी हथियाने को
सोच लो
तुम हिन्दू हो
या हो मुसलमान
कत्ल दंगे फसाद
तुम करते हो जिन नेताओं के लियें
भडकाते हो दंगे
जिन मोलाना,मोलवी साधू संतों के लियें
यही सब
मुसीबत जब तुम पर पढ़ेगी
तुम से नाता तोड़ लेंगे
मोलाना हो चाहे हो मोलवी
हो चाहे पंडित साधू संत
सभी का होगा
समझोता सरकार से
कोई होगा विधायक
कोई होगा सांसद
तो कोई होगा मंत्री
कोई बनेगा किसी आयोग का चेयरमेन
तो कोई बनेगा राज्यसभा का सदस्य
बस तुम ही रह जाओगे
टन टन गोपाल
तुम पर होंगे कत्ल,लुट,आगजनी के मुकदमे
यही लोग जिन्होंने
करवाए हें कत्ल
भाइयों को तुमसे
जलवाई हे करोड़ों रूपये की राष्ट्र की सम्पत्ति
कल कातिलों के गल में हाथ
डाल कर बेठे मिलेंगे
तुम्हें बतायेंगे गद्दार
तुम्हें बतायेंगे आतंकवादी
बस तुम इस हकीकत को जानलो
जब भी भड़काए तुम्हें
यह दंगे फसाद के लियें
तुम्हारे जरियें हिंसा फेलाकर
वोट बटोरना हे इन्हें
बस इतना तुम जान लो
छोड़ों अब तुम भी इन्हें
चेहरे इनके बेनकाब करो
आस्तीने चडाते हो जो तुम
भाई के कत्ल को
उठो चदाओ आस्तीने
अब तुम
धुल चटाने के लियें
इन सफेदपोश नेताओं को
वोट जो हिन्दुओं को गाली बककर
मुसलमानों को गालियाँ बककर
कोंग्रेस , भाजपा,सपा,बसपा से लेते हें
मोका पढने पर कुर्सी हथियाने के लियें
यही लोग बाद में
एक ही थेली के चट्टे बन
मंत्री बनजाते हें
बहुमत के नाम पर समर्थन की राजनीति
फेलाते हें और बाहर से
या फिर अंदर से
समर्थन के नाम पर रूपये बनाते हें ।
उठो चढाओ आस्तीनें
कर डालो खत्म ऐसे नेताओं का
जो खुद तो जीते हें
लेकिन देश को ज़िंदा लाश बना देते हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
31 अगस्त 2010
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वह अख्तर जी क्या बात कही है इन पंक्तियों के द्वारा
जवाब देंहटाएंअच्छी पंक्तिया है ......
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/